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सृजन मामले में सीएस कार्यालय के लिपिक निलंबित

नव-बिहार न्यूज नेटवर्क (NNN)। सृजन घोटाला के बाद सहकारिता विभाग ने प्रबंधकारिणी को निलंबित कर दिया है। सृजन में नाथनगर के प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी को
विशेष पदाधिकारी बनाया गया है। विशेष पदाधिकारी ने अभी कार्यभार नहीं संभाला है। दी भागलपुर सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक सुभाष कुमार ने बताया कि सृजन के सामान की सूची मजिस्ट्रेट के समक्ष बनायी जाएगी। डीएम को पत्र भेजकर एक मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति करने का आग्रह किया गया है। प्रबंध निदेशक ने बताया कि सहकारिता विभाग की टीम पटना लौट गयी है। सृजन से कागजात नहीं मिलने के चलते जांच में परेशानी हो रही है। सामान की सूची बनने के बाद पुन : टीम आकर जांच करेगी।
सृजन घोटाला के मद्देनजर चेक अवैध ढंग से ट्रांसफर होने के मामले में सीएस कार्यालय के अकाउंट क्लर्क जितेन्द्र मंडल निलंबित हो गए हैं। शनिवार को भागलपुर लौटे सीएस डा. विजय कुमार ने यह कार्रवाई की है। सीएस खाते में जमा होने वाले रुपये को सृजन के खाते में जमा होने का मामला उजागर होने के बाद 11 अगस्त को सीएस ने जितेन्द्र सेस्पष्टीकरण मांगा था। जीतेंद्र मंडल ने जो जवाब दिया था वह संतोषजनक नहीं पाया गया। इसी वजह से उन्हें शनिवार को सिविल सर्जन ने सस्पेंड कर दिया। इसकी सूचना डीएम, डायरेक्टर इन चीफ हेल्थ , आरडीडीई हेल्थ भागलपुर प्रमंडल व कहलगांव के प्रभारी को दी गई है। जीतेंद्र मंडल को निलंबन के दौरान अनुमंडल अस्पताल कहलगांव से अटैच किया गया है। उनके उपर आरोप लगाया गया है कि सृजन के खाते में 40.75 लाख रुपये जमा हो जाने के 8 महीना बाद भी लिपिक जीतेंद्र ने बैंक से खाता अपडेट नहीं कराया।
पंकज कुमार झा पूर्व एडीएम जयश्री ठाकुर मामले में सृजन की जांच की थी। जांच रिपोर्ट के बाद से झा चर्चा में रहे थे। बताया जा रहा है कि झा ने जांच रिपोर्ट में सृजन को क्लीन चिट दे दी थी। उसके बाद से सृजन के साथ उनके गहरे संबंध की बात होने लगी थी। पं कज कुमार झा 11फरवरी 2011 को जिला सहकारिता पदाधिकारी के साथ दी भागलपुर सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक बने थे। झा इस पद पर 10 जुलाई 2014 तक रहे। जुलाई 2013 में भागलपुर की पूर्व एडीएम जयश्री ठाकुर के कई शहरों में स्थित आवास और कार्यालय में आर्थिक अपराध इकाई ने छापेमारी की थी। छापेमारी में करीब 30 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्ति का पता चला था। जांच में जानकारी मिली थी कि जयश्री ठाकुर ने भू अर्जन से मिले सात करोड़ रुपए को सृजन में जमा किया है। डीएम के निर्देश पर सृजन के खातों और नियमों की जांच करने की जिम्मेदारी तत्कालीन दी भागलपुर सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक सह जिला सहकारिता पदाधिकारी पंकज झा को सौंपी गयी थी। बैंक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जांच रिपोर्ट में सृजन द्वारा नियमों के अनुसार काम करने की बात कही गयी थी। हालांकि जांच रिपोर्ट का प्रशासन ने खुलासा नहीं किया। सृजन घोटाला उजागर होने के बाद झा का रिपोर्ट भी जांच के घेरे में है।दी भागलपुर सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लि. के प्रबंध निदेशक द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में 50 करोड़ रुपए से अधिक राशि के गबन की बात कही गयी है। प्राथमिकी के अनुसार को ऑपरेटिव बैंक ने स्टेट बैंक का पांच चेक 20करोड़ रुपए का इंडियन बैंक में भेजा था। लेकिन वह राशि को ऑपरेटिव बैंक में जमा नहीं हुई। यह चेक सात जून 2012, 20 जून 2012, 29अगस्त 2012, 24 दिसंबर 2013 और पांच जून 2014 को भेजी गयी थी। इस दौरान पंकज कुमार झा ही बैंक के प्रबंध निदेशक थे। इसके अलावा को ऑपरेटिव बैंक ने विभिन्न बैंकों का नौ चेक बैंक ऑफ बडौदा में 30 करोड़ 95 लाख रुपए का भेजा था। जांच में राशि राशि बैंक खाता में नहीं पायी गयी। इसमें से 10 करोड़ रुपए का तीन चेक 13 अक्टूबर 2013,19 दिसंबर 2013 और पांच जून 2014 को भेजा गया था। यह झा के कार्यकाल का चेक था। इसके अलावा 20 करोड़ रुपए का चेक वर्तमान प्रबंध निदेशक के कार्यकाल में भेजा गया जो खाता में जमा नहीं हुआ है। धान खरीद मामले में भी झा विवादों से घिरे रहे। बोरा पाठकडीह पैक्स अध्यक्ष सुमन सिंह की शिकायत पर जिला अंकेक्षण पदाधिकारी ने मामले की जांच कर रिपोर्ट मुख्यालय को भेजा था। रिपोर्ट में अनियमितता की बात सामने आयी थी।
सुपौल के सहकारिता अधिकारी पंकज कुमार झा के पटना और पैतृक आवास पर छापेमारी के लिए एसआईटी टीम को शनिवार रात रवाना किया गया। पटना में ईओयू की टीम से भी मदद ली जा रही है। पंकज झा पर पूर्व से ही भ्रष्टाचार का आरोप लगते रहे हैं। सुपौल स्थित कमरे से एसआईटी ने लाखों रुपए नकद बरामद किए हैं। रात को एसएसपी ने एसआईटी अधिकारियों के साथ बैठक की और हिरासत में लिए गए को-ऑपरेटिव बैंक के अधिकारियों के घर छापेमारी का निर्देश दिया। पूछताछ में पंकज झा के बारे में कई ठिकाने पर संपत्ति मिलने की सूचना है। छापेमारी के लिए एसएसपी ने चार अलग-अलग टीम बनाया है।