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योग भारत की प्राचीन संस्कृति रही है- स्वामी आगमानंद

नव-बिहार समाचार, नवगछिया (भागलपुर)। योग भारत की अति प्राचीन संस्कृति रही है। जिसे ऋषि, मुनि और देवताओं ने भी अपनाया है। योग को किसी दिवस में बांधना ठीक नहीं है। यह तो शरीर और मन को स्वस्थ रखने की प्रतिदिन की जाने वाली  एक क्रिया है। भले ही आज के दिन इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली है।

उपरोक्त बातें नवगछिया स्थित श्री शिवशक्ति योगपीठ आश्रम के संस्थापक परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर आश्रम में आयोजित सामूहिक योग कार्यक्रम के दौरान बताते हुए कहा कि योग को दिवस के अंतर्गत बांधना ठीक नहीं है, योग तो नित्य ही करना चाहिये। इन दिनों भले ही योग दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली है, लेकिन भारत में तो योग हजारों वर्षों पहले से ही प्रसिद्ध है। भगवान राम, कृष्ण, शिव सभी योगी रहे हैं, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन भी योग क्रिया करते थे। यह अलग बात है कि विश्व के अनेकों देशों ने आज के दिन ही योग करने की धारणा बना ली। इस दिन तो योग दिवस तो मनायें ही, लेकिन योग क्रिया नित्य करें तभी इसकी सफलता है।

परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि श्रीशिवशक्ति योगपीठ के आश्रम में आज प्रथम योग दिवस मनाया जा रहा है। अगले वर्ष इसे और वृहत रूप से कहीं और मनाया जा सकता है। इसका विस्तार दूर-दूर तक जन-जन में फैलाने का प्रयास करना है। इसके साथ ही इस आश्रम में भी उस दिन योग क्रिया होगी।

इसके साथ ही योग पथारूढ़ सभी माताओं, बहनों और भाइयों की जानकारी के लिये योग के यम, नियम और प्राणायाम के विविध आयाम और क्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस मौके पर मौजूद सभी श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने स्थानीय योगपीठ के संवर्धन, उत्सव और योग दिवस पर भी चर्चा की तथा नित्य योग क्रिया कराने और सिखाने वाले विनोद विश्वास और रंजन देव की प्रशंसा भी की। साथ ही इस मौके पर एक बच्चे का नामकरण करते हुए उसका नाम योगेश रखा जो पकरा निवासी सिकंदर कुमार सह गीता देवी का पुत्र था।