भारत की सनातन संस्कृति ही है, जो विश्व का कल्याण चाहती है: स्वामी आगमानंद
नवगछिया: स्थानीय धार्मिक कार्य स्थल श्री शिवशक्ति योगपीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीरामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के निर्देश पर उनके शिष्य, साधक व अनुयायियों ने योगपीठ में देव-दीपावली और सनातन संस्कृति' पर हुआ परिचर्चा का आयोजन किया। जिसका शुभारंभ गुरुमाता राधा देवी ने दीप प्रज्वलन कर किया। उनके साथ कुंदन बाबा, गीतकार राजकुमार, पंडित ज्योतिन्द्राचार्य जी महाराज, स्वामी शिवप्रेमानंद भाईजी, स्वामी मानवानंद, पंडित प्रेम शंकर भारती, मनोरंजन प्रसाद सिंह, पंडित अनिरूद्ध शास्त्री आदि दीप प्रज्वलन में शामिल हुए। मंदिर में स्थापित सभी देवी- देवताओं की पूजा अर्चना की गई, 5101 दीपक जलाए गए। इसके बाद नगरह स्थित काली मंदिर में पूजा की गई। वहां भी 5001 दीपक जलाए गए। सभी ने गुरु माता से आशीर्वाद लिया।
समारोह में मध्यप्रदेश के सतना, सोहावल से स्वामी धरणी धराचार्य जी महाराज और स्वामी आगमानंद जी महाराज इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जुड़े। जो उस समय नर्मदा की परिक्रमा कर रहे थे। उन्होंने कार्तिक पूर्णिमा की चर्चा की। गुरु नानक देव के आदर्शों को याद किया। स्वामी आगमानंद महाराज ने सभी संतों, महात्माओं, सुधीजनों और आश्रम में उपस्थित विशाल श्रद्धालु भक्त जनसमूह को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अपने आशीर्वचन में सबों की मंगल कामना करते हुए कहा कि प्राचीनतम संस्कृतियों में भारत की सनातन संस्कृति ही है, जो विश्व का कल्याण चाहती है। अपने गुरुजनों समुचित सम्मान देकर आप सभी अपने-अपने कर्तव्य का निर्वहन करते रहें और अपनी सात्विक संस्कृति को श्रद्धा के साथ हृदय से लगाये रखें।
गीतकार राजकुमार जी की अध्यक्षता में 'देव-दीपावली और सनातन संस्कृति' पर एक परिचर्चा आयोजित हुई। पंडित ज्योतीन्द्राचार्य जी महाराज ने सर्व प्रथम पूज्य गुरुदेव को अपनी प्रणति निवेदित कर, देव-दीपावली से जुड़े सभी मार्मिक पौराणिक आख्यानों को वर्तमान और विज्ञान से जोड़ते हुए अपनी मौलिक सनातन संस्कृति से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया। गीतकार राजकुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति से जुड़े जितने भी पर्व-त्योहार हैं, वे सभी वैज्ञानिकता को लिए खेती-गृहस्थी एवं संस्कार से जुड़े हुए हैं, जो हमारी उन्नति के मार्ग को प्रशस्त करता है। दिवाली हो या देव-दीपावली, यह हमें सकारात्मक ऊर्जा को बनाये रखने की ही सीख देती है। इस अवसर पर अमरेंद्र कुमार तिवारी, ब्रजनंदन तिवारी, डॉ.विवेक कुमार, मधुव्रत चौधरी, सुबोध दा, ब्रह्मचारी जी, आलोक कुंदन, रामबालक भाई, केशव, डॉ.मानक, मृत्युंजय कुमार सिंह, निखिल कुमार सिंह, पुतुल जी, कवयित्री तृप्ति पांडेय, पुष्कर, दीपक यादुका, गोपाल मिश्र, उत्तम सिंह, वंशीधर प्रसाद यादव, बंटी, कन्हैया, कुंदन, अनिल आदि के अलावे कई गणमान्य एवं विशाल संख्या में सुधी श्रोतागण चर्चा का आनंद ले रहे थे।