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नवगछिया में मनचलों के कारण छात्राओं की पढ़ाई हो रही बाधित, पुलिस बनी उदासीन


राजेश कानोडिया। 
नवगछिया में बढ़ रही है शोहदों की मनमानी, स्कूल कालेज जाती लड़कियों से करते हैं छेड़खानी, जिसे लोग कह देते हैं नादानी, जो होती है सोची समझी कारस्तानी।
नवगछिया शहर व बाजार स्थित स्कूल व कालेज के रास्तों में पिछले डेढ़ दो साल से मनचलों की खूब चल रही है। जिसपर पुलिस की कोई भी नकेल आज तक नहीं कसी जा सकी है। यहाँ पुलिस पूरी तरह से उदासीन इसलिए बनी हुई है कि वह हमेशा अपने पास पर्याप्त पुलिस बल व संसाधन की कमी का रोना रोती रहती है। जिसका ही नतीजा है कि नवगछिया आदर्श थाना व महिला थाना के पास से गुजरने वाली छात्राओं पर मनचले शोहदे अक्सर छेड़खानी या छींटाकशी करते हैं।
बताते चलें कि इन मनचलों का मन इतना तक बढ़ गया है कि अब ये राह चलती छात्राओं को जबरन मोबाइल की सिम हाथ में यह कह कर थमा देते हैं कि रात में इस सिम को मोबाइल में लगा लेना। हम तुमसे बात करेंगे। अगर सिम नहीं लगाई तो दूसरे दिन रास्ते में परेशान करेंगे। इसके बाद शुरू हो जाता है एक अंतहीन सिलसिला।
मनचलों के इस तरह की कारस्तानी की वजह से छात्राओं की मानसिक स्थिति असंतुलित हो रही है। जिससे पढ़ाई सीधी तौर पर बाधित हो रही है। इसके बाद जब इस मामले की जानकारी छात्राओं के माता पिता को होती है, तब तक समय काफी बीत चुका होता है। मोबाइल के मकड़जाल से बचाना मुश्किल हो जाता है। लाचार और बेवश माता पिता द्वारा छात्रा का स्कूल या कालेज जाना बंद कर दिया जा रहा है। मनचलों के इस तरह की परेशानी से नवगछिया में अब तक लगभग एक दर्जन छात्राओं का डाक्टर, इंजीनियर तथा पीओ बनने का सपना काल कोठरी में दफन हो चुका है।
इसका ताजा उदाहरण है रुंगटा बालिका इंटर विद्यालय की एक छात्रा को पिछले माह जबरन सिम देकर बात करने को कहा गया था। जिसने मजबूरीवश सिम ले भी लिया था। इसके बाद भी उसका पीछा होता रहा। जानकारी मिलने पर छात्रा के पिता ने शोहदे को पकड़ना चाहा। इस पकड़धकड़ में शोहदे का रिसतेदार मित्र पकड़ा गया, वह भागने में सफल रहा। सामाजिक दबाव में उसे भी छोड़ना पड़ गया। स्थिति यह है कि अगले भय से उस छात्रा का भी स्कूल जाना बंद हो गया। उसके डाक्टर बनने का सपना अब चूर हो रहा है। किसी अनहोनी के भय से छात्रा के पिता ने कोर्ट में एक सनहा दर्ज कर अपने कलेजे को मजबूत किया है।
इससे पहले भी आलोक हत्याकांड की जांच के दौरान छात्रा कोमल कुमारी के बिस्तर से लगभग दस सिम बरामद हुए थे। जो इस समय पटना बाल सुधार गृह में है। जबकि उसे सिम किसी दूसरे युवक ने दी थी। वह तो बच गया, लेकिन साजिश के शिकार में फँसे आलोक की हत्या कोमल के पिता अखिलेश द्वारा कर दी गयी। इसी बीच चैती दुर्गा स्थान के पास भी हुई एक वारदात काफी चर्चित रही थी। इसके अलावा भी नवगछिया में कई उदाहरण हैं जिसकी वजह से छात्रा का स्कूल जाना बंद हो गया है। जिनका खुलासा करना समाज की नजर में सही नहीं है। मनचलों की मनमानी के खुलासे से परेशान होने के बाद कई की जान भी चली गयी है।
नवगछिया पुलिस जिला की इस माह की अपराध गोष्ठी एसपी शेखर कुमार द्वारा भवानीपुर गाँव में की गयी थी। जहां एएसपी रमाशंकर राय सहित जिला भर के पुलिस पदाधिकारी भी मौजूद थे। वहाँ मौके पर पंचायत के मुखिया सुनील कुमार निराला, पूर्व मुखिया योगेन्द्र यादव सहित कई प्रमुख लोगों ने भी थाना चौक पर मनचलों की मनमानी व छेड़खानी का मामला जोरदार तरीके से उठाया था। इसके बावजूद भी आज तक कोई ठोस पहल नवगछिया पुलिस द्वारा शुरू नहीं की जा सकी है। जिसकी वजह से ही आम लोग नवगछिया पुलिस को पूरी तरह से उदासीन बताने लगे है।
नवगछिया पुलिस प्रशासन की कार्यशैली का विरोध बिहार सरकार के सत्ताधारी दल नवगछिया जिला जदयू के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार सिंह सहित दर्जनों कार्यकर्ताओं द्वारा प्रदेश के कई मंत्रियों तक किया जा चुका है।
वहीं स्कूल कालेज के रास्तों के बीच अवस्थित नवगछिया के महिला थाना की थानाध्यक्ष स्वयंप्रभा भी स्वीकारती है कि औसतन महीने में एक या दो मामले छेड़खानी के आते हैं। जिसमें से कुछ सही और कुछ गलत निकल जाते हैं। इसके बावजूद भी स्कूल और कालेज जाकर लड़कियों को मनचलों से बचने के उपाय भी बताए जा रहे हैं।
जबकि नवगछिया के एएसपी रमाशंकर राय का कहना है कि गंगा और कोसी के दियारे के बीच बना नवगछिया पुलिस जिला तो है, पर इसके पास पुलिस बल और संसाधन का घोर अभाव है। नवगछिया पुलिस जिला का सृजन 1992 में हुआ था। उस समय जहां जनसंख्या और जरूरत के हिसाब से नवगछिया में 90 दारोगा की जरूरत थी। वहाँ इस समय 2014 में भी मात्र 40 या 42 दारोगा ही है। जबकि उस समय से जनसंख्या वृद्धि भी काफी हुई है। विभिन्न कार्यों के लिये जरूरत बढ़ रही है। लगातार बढ़ रहे बैंकों और एटीएम की सुरक्षा, नेता और मंत्रियों की सुरक्षा, बढ़ाए गए थानों और पुलिस चौकी की व्यवस्था भी जरूरी है। बिना साधन और संसाधन के सुरक्षा कितनी और कहाँ तक संभव है।