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रेलवे का अजब कारोबार : 17 दिन से लापता ट्रेन दूसरे ट्रैक पर दौड़ते मिली


समस्तीपुर. रेलवे अफसरों की गफलत की वजह से बिहार में एक पैसेंजर ट्रेन गुम हो गई थी। गफलत में ही अधिकारी उसे ढूंढ़ते भी रहे। एक-दो नहीं बल्कि पूरे 17 दिन तक। अब उस गुम ट्रेन का पता चला है। वह इस दौरान दूसरे डिवीजन में दूसरे नाम से दौड़ रही थी। 25 अगस्त की रात नरकटियागंज-गोरखपुर रेलखंड पर एक मालगाड़ी बेपटरी हो गई थी। दुर्घटना की वजह से इस रूट की ट्रेनों को देवरिया, छपरा और बनारस के रास्ते चलाया गया। गोरखपुर-मुजफ्फरपुर 55207 अप पैसेंजर ट्रेन भी इसी रास्ते पर चली। लेकिन इंटरलॉकिंग की वजह से यह रूट भी बंद हो गया। ट्रेन को हाजीपुर में ही रद्द कर दिया गया। चार दिन बाद ट्रैक ठीक हुआ तो चलाने के लिए ट्रेन मिली ही नहीं। रेलवे अफसरों ने जैसे-तैसे 10 डिब्बे जुटाकर ट्रेन को रवाना किया। 

दरअसल, इसी दौरान समस्तीपुर मंडल की एक पैसेंजर ट्रेन का रैक मरम्मत के लिए गोरखपुर यार्ड भेजा गया था। जब गोरखपुर-मुजफ्फरपुर ट्रेन हाजीपुर पहुंची तो वहां के कर्मचारियों ने इसे मरम्मत के लिए भेजी ट्रेन समझ लिया। वे नंबर बदलकर उसे अपने रूट पर चलाने लगे। इससे रेलवे नेटवर्क पर 55207 अप पैसेंजर ट्रेन ट्रेस ही नहीं हुई।  
 
अब नए रूट पर दौड़ेगी गुम ट्रेन 
 
पूर्व-मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अरविंद रजक ने कहा कि पैसेंजर ट्रेन के रूट को बदलकर इसे 55040 नंबर से नौतन से गोरखपुर के बीच चलाया जा रहा है। पहले यह ट्रेन 55207 नंबर से गोरखपुर से मुजफ्फरपुर के बीच चल रही थी।
 
नंबर से ही पहचानी जाती है हर ट्रेन 
 
ट्रेनों के कोच व इंजन की मॉनिटरिंग कोचिंग ऑपरेशन इंफर्मेशन सिस्टम से होती है। ट्रेन चलने से पहले हर कोच का नंबर व कुल डिब्बों की संख्या सिस्टम में फीड होती है। हर ट्रेन का एक नंबर होता है, जिससे उसकी पहचान होती है। इस ट्रेन को नंबर बदलकर चलाया गया था। इसी वजह से ट्रेस नहीं हो पा रही थी।  
 
कहां हुई गफलत 
 
गोरखपुर यार्ड से किसी ने संपर्क कर यह जानने की कोशिश नहीं की कि जो ट्रेन उनके पास पहुंची है, वह उनकी ही है या नहीं। वहीं पूर्वोत्तर रेलवे ने भी हाजीपुर से ट्रेन न लौटने पर समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की।