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फिर से कम होगा सस्ते गैस सिलेंडर का कोटा!


राजग की नीतियां संप्रग से कितनी अलग रहती हैं, यह तो वक्त बताएगा लेकिन रसोई गैस सब्सिडी को लेकर हो सकता है कि पूर्व सरकार की नीतियों को ही आगे बढ़ाया जाए। संभव है कि नई सरकार हर परिवार को दिए जाने वाले सस्ते रसोई गैस सिलेंडर का कोटा मौजूदा 12 से घटाकर नौ कर दे। सीधे बैंक खाते में एलपीजी सब्सिडी ट्रांसफर करने की नीति भी थोड़े बदलाव से लागू हो सकती है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सामने संभावित नई नीतियों की जो फेहरिस्त रखी है उनमें कई संप्रग के दौर में तैयार की गई थीं। नए मंत्री को यह बताया गया है कि हर परिवार को साल भर में सब्सिडी वाले 12 सिलेंडरों की संख्या फिलहाल घटा कर नौ कर दी जानी चाहिए। इतने सिलेंडर दिए जाने से सब्सिडी का गलत इस्तेमाल होने की संभावना बढ़ गई है। पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक देश के 89 फीसद परिवार साल में सिर्फ नौ एलपीजी सिलेंडर की खपत करते हैं। 70 फीसद परिवार तो सिर्फ छह सिलेंडर का इस्तेमाल करते हैं।
इसके साथ ही पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने सीधे बैंक खाते में एलपीजी सब्सिडी ट्रांसफर करने की पुरानी नीति को भी सही बताते हुए नए मंत्री से इसे फिर से अमल में लाने की जरूरत बताई है। सीधे बैंक खाते में एलपीजी सब्सिडी ट्रांसफर करने का ढांचा काफी हद तक तैयार है। इसकी कमियों को दूर किया जा रहा है। उक्त दोनों कदमों से सरकार पर एलपीजी सब्सिडी का बोझ काफी कम किया जा सकेगा। इससे न सिर्फ देश की राजकोषीय स्थिति सुधरेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में एलपीजी कनेक्शन बढ़ाने की तेल कंपनियों की योजना को भी तेजी से लागू किया जा सकेगा।
उक्त दोनों नीतियों को संप्रग ने पहले लागू किया। फिर चुनाव के वक्त इन्हें वापस कर लिया। यह अलग बात है कि इससे भी कांग्रेस हार से नहीं बच सकी। संप्रग ने पहले हर परिवार को सब्सिडी वाले महज छह एलपीजी सिलेंडर देने का फैसला किया था। बाद में इसे बढ़ाकर नौ किया गया। चुनाव के वक्त इसे 12 कर दिया गया। इसी तरह से एलपीजी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी बैंक खाते में सीधे गैस सब्सिडी डालने की योजना को भी चुनाव से ठीक पहले खारिज कर दिया गया।