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नीतीश को झटका,किशनगंज से जदयू उम्मीदवार कांग्रेस के पक्ष में चुनावी मैदान से हटे


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को आज उस समय बडा झटका लगा जब किशनगंज लोकसभा सीट ने उसके उम्मीदवार अख्तरुल ईमान ने कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में आज चुनावी मैदान से हट गए.
बिहार विधानसभा में राजद से अलग समूह के तौर पर मान्यता दिए जाने वाले 13 विधायकों में शामिल किशनगंज जिले के कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र से विधायक अख्तरुल ईमान सदन की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के बाद आज से ठीक एक महीने पूर्व 15 मार्च को जदयू में शामिल हो गए थे.
जदयू में शामिल होने के बाद उसके द्वारा किशनगंज लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए गए अख्तरुल ने आज कहा कि अल्पसंख्यक वोटों का बंटवारा नहीं हो. इसलिए कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में वे चुनावी मैदान से हट रहे हैं. किशनगंज से निवर्तमान सांसद मौलाना असरारुल हक दोबारा चुने जाने के लिए कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं तथा डी के जयसवाल को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है. यहां आगामी 24 अप्रैल को चुनाव होना है.
अख्तरुल ने कहा कि उन्होंने अपने इस निर्णय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अवगत कराने के लिए उनसे संपर्क करने की कोशिश की पर उनसे संपर्क नहीं हो सका जिसके बाद अपने निर्णय से जदयू की किशनगंज इकाई को सूचित कर दिया. अपने इस निर्णय को सही ठहराने के लिए तर्क देते हुए उन्होंने कहा कि यह निर्णय धर्मनिरपेक्ष मतों का बंटवारा नहीं हो तथा उसका लाभ भाजपा को नहीं मिले, इसलिए लिया.
 अख्तरुल ईमान ने कहा कि वह जदयू में अभी भी बने हुए पर उनका चुनावी मैदान में उतरने का मकसद सांप्रदायिक ताकतों को पराजित करना था और धर्मनिरपेक्ष ताकत को मजबूत करने के उद्देश्य से वे चुनावी मैदान से हटे हैं. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पर जितना समर्थन की उम्मीद अख्तरुल कर रहे थे उतना नहीं मिल पाने के कारण चुनाव में हार निश्चित देखते हुए उन्होंने सम्मानपूर्वक मैदान छोडना ज्यादा उचित समझा. अख्तरुल चुनावी मैदान से हटने वाले जदयू के दूसरे अल्पसंख्यक नेता हैं और इससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू को बडा झटका लगा है क्योंकि वह अब वहां अपना नया उम्मीदवार भी नहीं दे सकती. किशनगंज जहां आगामी 24 अप्रैल को मतदान होना है नामांकन भरने की अंतिम तिथि नौ अप्रैल थी.
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व बिहार के शिवहर संसदीय सीट से जदयू द्वारा उम्मीदवार बनाए गए साबिर अली भी चुनावी मैदान से हट गए थे जिसके बाद उनकी जगह बिहार के अल्पसंख्यक मंत्री शाहिद अली खान को जदयू ने शिवहर से अपना उम्मीदवार घोषित किया. साबिर ने भाजपा में शामिल होने के लिए जदयू का दामन छोडा था, पर भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी के विरोध के कारण उन्हें उस पार्टी में भी जगह नहीं मिल पायी.