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बिहार में 192 भ्रष्ट BDO पर गिरेजी गाज


इंदिरा आवास योजना में गड़बड़ियों की शिकायत के बाद बिहार सरकार ने 190 अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर ली है। नीतीश सरकार इस जांच के बाद राज्य के 100 प्रखंड विकास अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त भी कर सकती है।
गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करनेवालों को रहने के लिए छत मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने 1996 में इन्दिरा आवास योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत राज्य सरकार हर साल तकरीबन चार से सात लाख लोगों को घर के लिए पैसे देती है। जिसमें से 75 फीसदी पैसा केंद्र और पच्चीस फीसदी राज्य सरकारें वहन करती है। बिहार में इसी योजना के तहत रकम बांटने में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों की शिकायत मिली थी।
इस योजना के तहत पहले पंचायत का मुखिया सूची बनाता है और उसके आधार पर प्रखंड विकास अधिकारी राशि का आवंटन करता है। आरोप है कि ब्लॉक डेवलपमेंट अफसरों ने आवंटियों को तय से कम राशि दिया। कई अफसरों पर तो संगीन इल्जाम भी हैं। जांच के बाद घपलों के आरोपी 192 प्रखंड विकास अधिकारी पर कार्रवाई की तैयारी हो गई है। सूत्रों के मुताबिक सरकार 60 अफसरों से उनके अधिकार छीनने और सौ को नौकरी से बर्खास्त करने की तौयारी में है।
दरअसल भ्रष्टाचार के खिलाफ नीतीश सरकार ने शुरुआती दिनों में तेजी दिखाई थी और आय से अधिक संपत्ति के दोषी अफसरों के सरकारी मकान जब्त कर स्कूल खोले थे। लेकिन बाज के दिनों में मुहिम ठंडी पड़ गई थी।
इतने बड़े पैमाने पर इंदिरा विकास योजना में गड़बड़ियों से हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। पूरे सूबे में कई ऐसे परिवार हैं जिनको इस योजना का लाभ तो मिला पर पूरे पैसे नहीं मिलने की वजह से उनका घर पूरा नहीं बन पाया। लिहाजा गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले कई परिवार इस कड़कड़ाती ठंड में बगैर पक्की छत के जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं।
अरवल जिले के बारा गांव की रहने वाली ये है दुलारी देवी। इनको 2012-13 में सरकार की ओर से इंदिरा आवास योजना के तहत आवास बनाने के लिए इन्हें सत्तर हजार रुपये आवंटित किए गए थे। इनका आरोप है कि इनको सत्तर हजार की बजाय सिर्फ पचास हजार रुपये मिले। उन्होंने उस पैसे से दो कमरे की दीवार तो खड़ी कर ली लेकिन छत बनाने के लिए पैसे नहीं बचे। कागजों पर पक्का मकान के लिए पैसे मिलने के बावजूद दुलारी अब भी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है।
वैसे ये कहानी सिर्फ ललिता और दुलारी की नहीं है। आरोपों के मुताबिक कुर्था ब्लाक में ही इस योजना का लाभ देने के एवज में उनसे तीन हजार से लेकर दस हजार तक रिश्वत ली गई। आरोप है कि कुर्था में तैनात अधिकारी ने गबन किया। जिसकी शिकायत लोगों ने आलाधिकारियों से की और जब मामले की जांच हुई तो यह पाया गया की अफसर अशोक रजक ने इन्दिरा आवास आवंटन में गड़बड़ी की। जिसके बाद अशोक रजक के खिलाफ कुर्था थाने में 13 दिसम्बर 2013 को एफआईआर नंबर 153/ 2013 दर्ज की गई। लेकिन भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की नीति का ऐलान करनेवाले नीतीश सरकार ने केस दर्ज होने के बावजूद अशोक रजक का तबादला गया कर दिया है।