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गैंगरेप: लड़की के नाम पर कानून नहीं

दिल्ली की चलती बस में गैंगरेप के कारण मारी गई लड़की की पहचान सार्वजनिक करने को लेकर गृहमंत्रालय ने चुप्पी साध ली है. गृह मंत्रालय के गलियारों से आने वाली खबरों में कहा जा रहा है कि मंत्रालय किसी व्यक्ति के नाम से कानून बनाने के पक्ष में नहीं है. इधर लड़की की पहचान सार्वजनिक करने की मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री शशि थरूर की सोच को लेकर
विवाद शुरु हो गया है. दूसरी ओर दिल्ली गैंगरेप पीड़िता के परिजनों ने बलात्कार विरोधी नए कानून का नाम अपनी बेटी के नाम पर रखने के सुझाव से अपनी सहमति जताई है. पीड़ित परिवार के मुताबिक उनकी बेटी के नाम पर कानून बनना दिवंगत के लिए गर्व की बात होगी और इसके लिए उन्हें अपनी पहचान उजागर होने पर भी कतई आपत्ति नहीं है.
भारतीय कानून में रेप और छेड़छाड़ के पीड़ित के नाम को सार्वजनिक करने की सख्त मनाही है. दिल्ली की गैंगरेप के बाद मारी गई लड़की की पहचान को सार्वजनिक करने के कारण कम से कम दो अखबारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. ऐसे में शशि थरूर ने इस बात की वकालत की थी कि लड़की एक इंसान थीं कोई सांकेतिक चिह्न भर नहीं.
शशि थरुर के बयान को लेकर सोशल साइट्स में भी बहस शुरु हो गई है. हालांकि आरंभिक तौर पर अधिकांश लोग शशि थरुर के पक्ष में हैं. लोगों की राय है कि इस तरह के मामलों में पिता, माता, भाई या पीड़ित के निवास का उल्लेख होने के बाद वैसे भी पीड़ित की जानकारी सार्वजनिक हो जाती है. ऐसे में ताजा मामले में देश पीड़ित का नाम जानना चाहता है.
गौरतलब है कि शशि थरूर ने एक ट्वीट में कहा कि मैं सोचता हूँ कि आख़िर दिल्ली बलात्कार पीड़ित की पहचान छिपाए रखकर क्या हासिल होगा? क्यों न उनका नाम बताकर उनका एक वास्तविक व्यक्ति की तरह सम्मान किया जाए, जिसकी अपनी पहचान है. उन्होंने कहा कि अगर उनके माता-पिता आपत्ति नहीं करते हैं तो उस लड़की का सम्मान किया जाना चाहिए. इसके अलावा बलात्कार के क़ानून में जो बदलाव होने हैं, उसके बाद नए क़ानून का नाम उसी के नाम पर रखा जाना चाहिए.
फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने भी ट्वीटर पर अपनी राय जाहिर की थी कि लड़की का नाम सार्वजनिक हो. खेर का कहना था कि मैं उसकी पहचान के बारे में जानना चाहता हूँ. वह कोई काल्पनिक पात्र नहीं है. देश को उसकी असलियत के बारे में जानने का पूरा हक़ है. अगर कई वर्षों बाद इस देश में महिलाएँ सुरक्षित होती हैं तो मैं चाहता हूँ कि दुनिया को पता चले कि इसकी शुरुआत किसने की.
इधर टीम अन्ना की सदस्य और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने भी शशि थरूर का समर्थन करते हुये कहा कि मैं बलात्कार पर नए क़ानून का नाम उस लड़की के नाम पर रखने की शशि थरूर की माँग का समर्थन करती हूँ. अमरीका में ब्रैडी, मेगन, कार्ली या जेसिका क़ानून आदि ऐसे कई उदाहरण हैं.
दूसरी ओर भाजपा के प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा कि यह समय बिना किसी देरी के बलात्कार विरोधी कठोर कानून बनाने का है. पीडि़ता का नाम जाहिर करने या पहचान छिपाने यहां मुख्य मुद्दा नहीं है. उन्होंने कहा कि मीडिया, राजनेता और समाज इस समय इस मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों का पालन कर रहे हैं. थरूर को कानून जल्द से जल्द पास कराने पर जोर देना चहिए.