बिहार में आई बाढ़ से प्रभावित लोगों के चूहा खाकर जिंदा रहने की खबर पर बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने विचित्र बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चूहा मारकर खाना खराब बात नहीं है।
मांझी ने कहा कि मैं भी चूहा खाता था। दरअसल, जीतन राम मांझी मुसहर जाति से ताल्लुक रखते हैं। देश के जिन इलाकों में यह दलित जाति है वहां सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से अब भी बेहद पिछड़ी है। आजादी से पहले मुसहर जाति इस कदर अभाव में गुजर बसर करने पर बेबस थी कि पेट भरने के लिए अनाज मयस्सर नहीं होता था। मजबूरी में पेट भरने के लिए ये चूहा मारकर खाते थे।
बिहार में मुसहर जाति की पहचान इस रूप में भी की जाती है। जब मुसहरों के घरों में भी तरक्की आई तो चुहों की जगह अनाज को मिली। मांझी का यह कहना है कि वह भी चूहा खाते थे शायद इसी ओर इशारा करने की कोशिश कर रहे हों। लेकिन बाढ़ पीडि़तों के मजबूरी में पेट भरने के लिए चूहा खाने पर बेबस होना और सीएम का कहना कि चूहा खाना खराब नहीं है, चौंकाने वाला है।
बिहार के नए सीएम जीतन राम मांझी ने कई विवादित बयान दिए हैं। अभी कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपने निर्वाचन क्षेत्र मखदुमपुर के झमणबिगहा गांव के पास स्कूल कैंपस में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए उस वक्त भड़क उठे जब वहां मौजूद लोग तख्ती दिखाकर 'बिजली नहीं तो वोट नहीं' का नारा दे रहे थे। सीएम ने साफ कहा था कि मैं आपके इस गीदड़ भाव से डरने वाला नहीं हूं। मांझी ने कहा कि हम आपके वोट से नहीं जीतते हैं। आपका तेवर कह रहा है कि आप मुझे वोट नहीं देते हैं।
इसके पहले मांझी ने कहा था कि दलितों और पिछड़ी जातियों के लड़कों को अगड़ी जातियों की बेटियों से शादी करनी चाहिए। हालांकि, शादी तो सहमति और प्रेम का मामला है ऐसे में किसी जाति से अजेंडा के तहत शादी करने की बात भी सीएम की चौंकाने वाली साबित हुई। मांझी ने सत्ता संभालने के कुछ दिन बाद ही कहा था कि उन्होंने नीतीश शासन में बिजली बिल दुरुस्त करने के लिए 5 हजार की रिश्वत दी थी। उन्होंने कहा था कि नीतीश ने विकास तो किया लेकिन भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में वह नाकाम रहे थे।