ताजा समाचार :

6/Posts/ticker posts

अंगिका की सेवा करने वाला हर साहित्यकार देवता के समान है- स्वामी आगमानंद

अंगिका की सेवा करने वाला हर साहित्यकार देवता के समान है- स्वामी आगमानंद 
नव-बिहार समाचार, भागलपुर। अंगिका की सेवा करने वाला हर साहित्यकार देवता के समान है। अपनी मातृभाषा की सेवा में हमें गांव गांव में भी जाना चाहिए। जिससे इसका सही प्रचार प्रसार हो सके। ये बातें मुख्य अतिथि पद से श्रीशिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के संस्थापक सह पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कही। मौका था अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के 46 वा स्थापना दिवस समारोह का। जो रविवार को स्थानीय संतनगर, बरारी स्थित तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलगीतकार विद्यावाचस्पति आमोद कुमार मिश्र के आवास (मनोरमा निकुंज) में मनाया गया। जिसकी अध्यक्षता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मधुसूदन झा (पूर्व विभागाध्यक्ष अंगिका विभाग) ने की। 
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में परमहंस स्वामी आगमानन्द जी महाराज, विशिष्ट अतिथि के रूप में संत छोटे लाल दास जी, अनिरुद्ध प्रभास, उलूपी झा, डॉ शोभा कुमारी, डॉक्टर अंजनी कुमार सुमन के साथ-साथ मंच के महामंत्री हीरा प्रसाद हरेंद्र, स्वागत अध्यक्ष कुलगीतकार विद्यावाचस्पति आमोद कुमार मिश्र मंचस्थ थे। मंच का काव्यमय मधुर संचालन गीतकार राजकुमार ने कुशलतापूर्वक कर रहे थे। इस कार्यक्रम का शुभारंभ उपस्थित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं कुलगीत गायन के साथ किया गया। स्वागत गान डॉक्टर शोभा कुमारी के नेतृत्व में सरस्वती माही, सरस्वती कुमारी, आशा, निशा, राजनंदिनी और ललिता के द्वारा किया गया। विद्यावाचस्पति आमोद कुमार मिश्र ने स्वागत उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि मां मनोरमा निकुंज अंगिका की सेवा में अपने नाम की सार्थकता आपके आगमन से सिद्ध करता है। महामंत्री हीरा प्रसाद हरेंद्र एवं डॉ विभुरंजन द्वारा क्रमशः  मंच एवं कोष से संबंधित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मंच के अध्यक्ष डॉ मधुसूदन झा ने कहा कि अंगिका के प्रचार प्रसार के लिए लेखन प्रकाशन आवश्यक है। उन्होंने संरक्षक मंडल, सलाहकार समिति, शिक्षक प्रकोष्ठ, महिला प्रकोष्ठ और समन्वय की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर डॉक्टर अजीत कुमार मिश्र ने कहा की अंगिका भाषा में अनुवाद साहित्य की भी आवश्यकता है। 
इस अवसर पर डॉ अमरेंद्र, कथाकार रंजन कुमार गौरव, कथाकार राम किशोर, डॉक्टर पी सी पांडे, डॉ इंदु भूषण देवेंन्दु, डॉक्टर उलूपी झा, डॉ शोभा कुमारी, प्रसून कुमार ठाकुर, अर्पिता चौधरी, राज नंदिनी, अरविंद कुमार मुन्ना, संत छोटेलाल दास, डॉक्टर अंजनी कुमार सुमन, डॉ ब्रह्मदेव ब्रह्म, दिनेश बाबा तपन, सरस्वती कुमारी, मुरारी मिश्र, प्रीतम कुमार शर्मा कवियाठ, सरस्वती कुमारी माही, व्यंग्यकार रामावतार रही, अनिरुद्ध प्रभास, साथी सुरेश सूर्य, साथी इंद्र देव, डॉ माधुरी, कविंद्र कुमार मिश्र, ज्वाला अंगार, डॉ विभु रंजन, त्रिलोकीनाथ दिवाकर, संजीव कुमार झा, प्रभाकर संजीत आदि ने भी अपने-अपने उद्गार व्यक्त किये। इनके अलावे भी कई गणमान्य उपस्थित थे। समारोह के अंत में डॉ गौतम कुमार यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।