कोलकाता में साइकिलों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है. ऐसा करने वाला वह देश का पहला शहर बन गया है.
कोलकाता पुलिस के इस फैसले से लोग हैरान हैं. 'स्लो ट्रैफिक' का हवाला देते हुए पुलिस ने हाल ही में सभी तरह के 'नॉन-मोटर' वाहनों पर बैन का ऐलान किया है. इसके तहत शहर की 174 सड़कों पर साइकिल भी बैन कर दी गई है.
कोलकाता पुलिस के डिप्टी कमिश्नर दिलीप अडोक ने बताया, 'सड़कों पर कम जगह है, इसलिए धीमी रफ्तार से चलने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया है. कोलकाता के पास सिर्फ 6 फीसदी सड़कें हैं और हम बिना मोटर वाले वाहनों के लिए अलग लेन नहीं दे सकते. इसलिए यह फैसला लेना ही था.'
कोलकाता देश का एकमात्र महानगर है जहां लोग कार से ज्यादा साइकिल से सफर करते हैं. पुलिस के इस फैसले के बाद निम्न आर्थिक तबकों के कामगारों और छात्रों को भारी परेशानी होने वाली है.
फैसला वापस लिए जाने की अपील
पुलिस के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. कई सामाजिक संगठन और लोग पुलिस के तर्क को अव्यावहारिक और पीछे ले जाने वाला बता रहे हैं और फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. 'साइकिल सत्याग्रह' अभियान से जुड़ी एकता जाजू कहती हैं, 'अगर आपके पास सड़कों पर कम जगह है तो साइकिलों को तो और बढ़ावा दिया जाना चाहिए. आप लोगों को कार लेकर आने के लिए उकसा रहे हैं. यह 'कार-सेंट्रिक' रवैया हमें पीछे ही ले जाएगा.'
ई-फ्रेंडली वाहनों के जमाने में उल्टी चाल
हालांकि, कोलकाता की 38 सड़कों पर 2008 से ही साइकिलों पर प्रतिबंध था. अब लगभग पूरे शहर में सुबह 7 से रात 11 बजे तक यह प्रतिबंध लागू हो जाएगा.
साइक्लिंग ग्रुप 'राइट टू ब्रीद' के सदस्य गौतम श्रॉफ कहते हैं, 'दूध वालों और अखबार वालों से लेकर छात्रों तक, सब साइकिलों पर ही निर्भर हैं. ऐसे समय में जब पूरी दुनिया एनवायर्नमेंट फ्रेंडली वाहनों को बढ़ावा दे रही है, यह बड़ा ही अजीब फैसला है.'
पत्थऱ का काम करने वाले आलोक दास कहते हैं, 'हम गरीब लोग साइकिल के अलावा किसी और वाहन का खर्च नहीं उठा सकते. बस का किराया काफी ज्यादा है. हम कैसे काम करेंगे, कैसे जिएंगे.'
CM दफ्तर के इर्द-गिर्द साइकिल ही साइकिल हों तो!
लेकिन पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री मदन मित्रा ने फैसले को सही बताया है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ब्रिटिश राज से चली आ रही इस मान्यता पर यकीन करती है कि साइकिलों को 'खुली छूट' देने से कोलाहल बढ़ता है. उन्होंने कहा, 'कल्पना कीजिए अगर रायटर्स बिल्डिंग (सीएम दफ्तर) के आस-पास की सड़कों पर हर कोई साइकिल चलाने लगेगा तो कितना शोर-शराबा होगा.'