इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बृहस्पतिवार को राजनीतिक दलों को
तगड़ा झटका देते हुए यूपी में
जातिगत रैलियों पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की रैलियों से समाज बंटता है और ये संविधान की व्यवस्था के विपरीत है इसलिए ऐसे आयोजन भविष्य में न किए जाएं।
जस्टिस उमानाथ सिंह और जस्टिस महेंद्र दयाल की खंडपीठ ने एक वकील मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया। इस संबंध में हाईकोर्ट ने बसपा, सपा, कांग्रेस, भाजपा, रालोद सहित तमाम दलों को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता ने शिकायत में मायावती की बहुजन समाज पार्टी द्वारा सात जुलाई को लखनऊ में आयोजित ब्राह्माण महासम्मेलन का जिक्र किया है। आरोप में कहा गया है कि यह सम्मेलन चुनाव में वोट पाने के मकसद से आयोजित किया गया, जो कि संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। याची ने अदालत से यह भी कहा कि संविधान के अनुसार सभी जातियां बराबर का दर्जा रखती हैं और किसी पार्टी विशेष द्वारा उन्हें अलग रखना कानून और मूल अधिकारों का हनन है।
जातिगत रैलियों पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की रैलियों से समाज बंटता है और ये संविधान की व्यवस्था के विपरीत है इसलिए ऐसे आयोजन भविष्य में न किए जाएं।
जस्टिस उमानाथ सिंह और जस्टिस महेंद्र दयाल की खंडपीठ ने एक वकील मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया। इस संबंध में हाईकोर्ट ने बसपा, सपा, कांग्रेस, भाजपा, रालोद सहित तमाम दलों को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता ने शिकायत में मायावती की बहुजन समाज पार्टी द्वारा सात जुलाई को लखनऊ में आयोजित ब्राह्माण महासम्मेलन का जिक्र किया है। आरोप में कहा गया है कि यह सम्मेलन चुनाव में वोट पाने के मकसद से आयोजित किया गया, जो कि संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। याची ने अदालत से यह भी कहा कि संविधान के अनुसार सभी जातियां बराबर का दर्जा रखती हैं और किसी पार्टी विशेष द्वारा उन्हें अलग रखना कानून और मूल अधिकारों का हनन है।