प्रीतम हत्याकांड को लेकर रेल पुलिस की हो रही किरकिरी के कारण आलाधिकारियों द्वारा नवगछिया रेल थाना के नव नियुक्त थानाध्यक्ष मनीष कुमार साहा को निलंबित कर दिया गया। रेल पुलिस के आलाधिकारियों ने अपना ठीकरा इस थानाध्यक्ष के माथे इसलिए फोड़ा दिया की उनकी चमड़ी सुरक्षित बची रहे। जबकि इस रेल थाना क्षेत्र की मनीष कुमार को कोई पुरानी जानकारी नहीं थी। जो अररिया जिला पुलिस से नवगछिया रेल पुलिस में तुरंत आये ही थे। आने के साथ सेमापुर स्टेशन से लेकर काढागोला, बखरी , कुर्सेला, कटरिया, नवगछिया और खरीक स्टेशन तक में फैले अपने कार्य क्षेत्र की स्थिति को समझ ही रहे थे कि इस बीच यह घटना हो गयी। जबकि घटना के दिन ९ जुलाई को नवगछिया रेल थानाध्यक्ष रेल एसपी कटिहार की क्राइम मीटिंग में शामिल थे।
वहीँ लोजपा के भागलपुर विश्वविद्यालय अध्यक्ष प्रवेश कुमार यादव और आजाद हिंद मोर्चा के अध्यक्ष राजेन्द्र यादव सहित कई लोगों का मानना कि नवगछिया में हुए प्रीतम हत्याकांड के लिए मूलतः रेल एसपी ही जिम्मेवार हैं। जिन्होंने नवगछिया जैसे महत्वपूर्ण स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस अधिकारी और बल को पदस्थापित नहीं कर रखा है। जबकि नवगछिया स्टेशन पर राजधानी एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव है। जिससे विशिष्ट और अति विशिष्ट लोगों का यहाँ आना जाना होता रहता है। वैसे भी इस स्टेशन से रोजाना लगभग चार हजार यात्रिओं का आना जाना होता है। वहां मात्र एक पुलिस अधिकारी को रक्खा गया है। जो अपने अन्य कार्यो के अलावा विभागीय कार्यों में व्यस्त रहा या अन्यत्र गया तो सारे यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही रहती है। जिसका नतीजा है प्रीतम हत्या काण्ड। इस दिन का यही वाकया था। जब नवगछिया रेल थाना के अकेले पुलिस अधिकारी सह थानाध्यक्ष क्राइम मीटिंग में चले गए और अन्य पुलिस कर्मी ट्रेन की गश्ती में बताये गए। रेल थाने में एक मात्र पुलिस कर्मी ड्यूटी पर था।