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प्रीतम हत्याकांड : रेल पुलिस की कार्य शैली पर उठने लगे सवाल

नवगछिया में हुए प्रीतम हत्याकांड को लेकर अब लोग रेल पुलिस की कार्य शैली पर तरह तरह के सवाल भी उठाने लगे हैं। जिसका जवाब देने के लिए इस समय रेल पुलिस का कोई अधिकारी नजर नहीं आता है। जबकि इस हत्या काण्ड का खुलासा करने के उद्देश्य से रेल पुलिस के जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के पुलिस अधिकारी नवगछिया की ख़ाक छान कर लौट चुके हैं। जिनमें एसपी रेल कटिहार डा० सुकन पासवान, डीआईजी, आईजी रेल विनय कुमार एवं एडीजीपी तक नवगछिया पहुँच कर लौट चुके हैं।
लोगों के अनुसार प्रीतम की लाश मिलते ही खोजी कुत्ता क्यों नहीं मंगाया गया। अगर उस समय खोजी कुत्ता मंगाया गया होता तो हत्यारों की खोज में काफी आसानी होती। जिसे ग्यारह दिनों बाद मंगा कर बरामद एक बैग के सहारे हत्यारों की खोज की नाकाम कोशिश की गयी।
इसके अलावा पुलिस के द्वारा की जा रही कार्यवाही की पल पल की जानकारी एक अखबार के प्रतिनिधि को मिलनी और उसका अखबार में प्रकाशित होते रहना ही प्रीतम के लिए खतरनाक साबित हुआ।
यदि नवगछिया जैसे महत्वपूर्ण आदर्श स्टेशन पर रेल पुलिस कर्मी द्वारा प्रीतम की बातों पर ज़रा भी ध्यान दिया जाता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। जबकि रेल आईजी द्वारा चलती ट्रेन में प्राथमिकी दर्ज कराने और अनुसंधान प्रारम्भ करने की बात की जाती है।
जब रेल द्वारा सुरक्षित यात्रा का दावा किया जाता है तो नवगछिया स्टेशन से आसाम निवासी प्रीतम भट्टाचार्य का लापता होना और पांच दिनों की छान बीन के दौरान ह्त्या की घटना कैसे हो गयी।
जब नवगछिया स्टेशन पर पुलिस के रहते घटना हो तो ऐसे में रेल पुलिस से अब क्या उम्मीद की जा सकती है।