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मानव तस्करी: ट्रेन से ले जाये जा रहे 46 बाल मजदूर को कराया गया मुक्त

पटना : मानव तस्करी के तहत ट्रेन से ले जाये जा रहे 46 बच्चों सहित 4 मानव तस्कर को दानापुर स्टेशन पर आरपीएफ और जीआरपी की संयुक्त कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया गया. साथ ही मजदूरी करने के लिए ले जाए जा रहे इन 46 बाल मजदूरों को दानापुर-पुणे एक्सप्रेस से मुक्त कराया गया.  मुक्त कराए गए सभी बच्चों की उम्र बारह से सोलह वर्ष के बीच का है. इसकी सूचना मिलने पर श्रम अधीक्षक अपने टीम के साथ जीआरपी पहुंच कर बच्चों को अपने कस्टडी में ले लिया है और बच्चों के घर वालों को भी सूचना दे दी गई है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार ये सभी बच्चे मधेपुरा सहरसा और सुपौल जिले के रहने वाले हैं. इटहरी मधेपुरा निवासी 12 वर्षीय राज कुमार, छोटेलाल का पुत्र भरत कुमार, 13 वर्षीय शिवचरण कुमार, अरूण कुमार, फूलचंद, सुनिल कुमार आदि बच्चों ने बताया कि उन्हें एक ठेकेदार के माध्यम से महाराष्ट्र के अंगूर के बागानों में मजदूरी कराने ले जाया जा रहा था. जहां हम लोगों को 20 हजार रूपये बीघे के हिसाब से मजदूरी मिलती. इसमें कई बच्चे ऐसे हैं जो कई बार अंगूर के बागान में पहले भी जाकर मजदूरी कर चुके हैं. बच्चों को मजदूरी कराने ले जा रहे आरोपीत दलाल मधेपुरा निवासी वासुदेव सदा, पैदल रीशिदेव, नंदन सदा, सुबेन सदा ने अपने ऊपर लगे आरोप को बेबुनियाद बता रहे हैं. उन्होंने बताया कि मधेपुरा वासुदेव निवासी सचीन सदा ही मुख्य दलाल हैं, जो सभी बच्चों को ट्रेन का टिकट और खाने पीने का पैसा दे बाल मजदूरी के लिए महाराष्ट्र स्थित डान भेज रहा था.

वहीं मौके पर पहुंचे श्रम अधीक्षक राजीव रंजन ने बताया कि मामला चाइल्ड ह्यूमन ट्रैफिकिंग का है. सभी बच्चों को पटना स्थित अपना घर ले जा चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के सामने पेश किया जाएगा. जो बाल श्रमिक के श्रेणी में आएंगे उन्हे मुख्य मंत्री राहत कोष से कुछ राशी दे परिजनों को सुपुर्द कर दिया जाएगा. इस संबंध में जीआरपी प्रभारी योगेन्द्र कुमार एवं आरपीएफ के इन्स्पेक्टर आरके कच्छवाहा ने संयुक्त रूप से बताया कि बुधवार की देर रात दानापुर स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म नंबर पांच पर खड़ी दानापुर-पूणे एक्सप्रेस में आरपीएफ और जीआरपी की संयुक्त कार्रवाई से बाल मजदूरों को दलालों के चंगूल से मुक्त कराया गया है. जिसमें चार बाल दलालों को भी गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि सभी बच्चे गरीब घर से है जो पढ़े लिखे नहीं है. दलाल उन्हे और उनके परिजनों को झासे में ले मजदूरी कराने बाहर विभिन्न राज्यों में ले जाते हैं. जानकारी के मुताबिक एक बच्चे के एवज में दलालों को एक हजार रूपये मिलते हैं.