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पूरे नवगछिया में स्वास्थ्य सेवा हुई तार-तार

नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल का फाइल फोटो 
संजीव चौरसिया। 
नवगछिया अनुमंडल में स्वास्थ्य सेवा बदहाली के दौर से गुजर रही है। अनुमंडलीय अस्पताल हो या प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मरीजों का आर्थिक दोहन जारी है। वहीं चिकित्सक के अभाव में घायलों के चीखने-चिल्लाने, बच्चों के मरने का सिलसिला जारी है। सरकार का घर-घर चिकित्सा सुविधा पहुंचाने का दावा खोखला साबित हो रहा है। आलम यह है कि धोखाधड़ी के एक मामले में स्वास्थ्य प्रबंधक को कई माह तक हिमाचल प्रदेश के जेल में गुजारना पड़ा।
अनुमंडलीय अस्पताल नवगछिया में प्रसव पीड़ित महिलाओं से एएनएम द्वारा दोहन करने का गोरखधंधा वर्षो से चल रहा है। बच्चों के जन्म के बाद महिला से नर्स दो सौ रुपए से पांच सौ रुपए तक वसूलती हैं। जब तक पांच सौ रुपए उसके हाथ नहीं लगता, वह मां के गोद में नवजात बच्चों को नहीं देती है। यहां पर जननी बाल सुरक्षा योजना का चेक देने में एक सौ रुपए धड़ल्ले से लिये जा रहे हैं। अस्पताल में हो-हंगामा लोगों द्वारा किये जाने पर दो दिन उपाधीक्षक द्वारा बेड पर डिलेवरी का भुगतान किया गया, फिर वही गोरखधंधा जारी है।
अनुमंडलीय अस्पताल का कोई बोर्ड नहीं लगा है। यहां न कोई बोर्ड है और न सड़क और न ही उपाधीक्षक का सक्शेसर बोर्ड। कैसे जाने अस्पताल का हाल। राष्ट्रीय उच्च पथ 31 एवं रेलवे से रोजाना दुर्घटनाग्रस्त मरीजों के आने के कारण यहां भीड़-भाड़ का आलम रहता है। 
बगल में नवगछिया पीएचसी है जिसका कोई लाभ नहीं है। प्रखंड परिसर में पीएचसी रहने से घायलों को इसका फायदा मिलता। पूर्व एसपी आनंद कुमार सिंह, प्रमुख मंकेश्वर सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार सिंह, राजेश कानोडिया, नवगछिया बीडीओ ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को प्रखंड में स्थानांतरित करने की भी मांग की थी।
यहां का पोस्टमार्टम हाउस और वहां का प्राइवेट कर्मचारी रोते-बिलखते मृतक के परिजनों से हजार-पांच सौ रुपए वसूले बिना पोस्टमार्टम नहीं करतो हैं।
नवगछिया के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बदहाल : 
गोपालपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भगवान भरोसे चलता है। यहां कोई चिकित्सक नहीं रहते हैं। घायलों, गंभीर रूप से बीमार लोगों के इलाज के लिये रात के समय कोई डॉक्टर नहीं मिलते। यहां कई बार मरीजों के परिजनों ने हंगामा किया। आयुक्त गये जांच की परंतु हालात आज भी बदत्तर स्थिति में है।
यही हाल रंगरा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का है। डेढ़ बजे के बाद सभी चिकित्सक अपने क्लीनिक पर चले जाते हैं। रात में रोते-बिलखते मरीजों को देखने वाला कोई नहीं मिलता है। जेभीएसवाई में एकाउंटेंट द्वारा डरा-धमकाकर एक सौ रुपए से दो सौ रुपए वसूलने की बात जगजाहिर है। यही नहीं एकाउंटेंट पर अस्पताल में असामाजिक तत्वों के साथ बैठकबाजी के भी आरोप हैं।
यही हाल बिहपुर पीएचसी का है। मरीजों के आर्थिक दोहन के अलावे चिकित्सक की उदासीनता से बच्चों की मौत के बाद यहां हंगामा हो चुका है।
इस्माइलपुर पीएचसी में डॉक्टर जाते ही नहीं हैं। यहां पर नर्स ही पीएचसी चलाती हैं। झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे यहां के लोगों का इलाज होता है।