यह हाल अकेले विक्रम का नहीं। सैकड़ों लोग इस जानलेवा बीमारी से ग्रसित हैं। हर शहर और आसपास के जिलों के लोगों को हर रोज कैंसर की पुष्टि हो रही है। मुंह व पित्त की थैली में कैंसर अधिक हो रहा है। एक कैंसर रोग विशेषज्ञ के पास हर रोज दो केस पित्त की थैली के पहुंच रहे हैं।
कैंसर के प्रमुख कारण
तंबाकू : कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू है। गुटखा, पान मसाला, बीड़ी, सिगरेट इनमें से किसी के भी सेवन से शरीर को नुकसान पहुंचना ही है। निकोटिन के कारण शरीर में सेल्स में बदलाव आने लगता है। लंबे समय तक सेवन जारी रहने पर एक सेल्स की चार से अधिक सेल्स बनने लगती हैं। बढ़ी हुई सेल्स आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेती है।
अल्कोहल : शराब के इस्तेमाल से सांस व खाने की नली (प्रोटेक्टिव लेयर)अंदर से गलने लगती है। इससे अंदर की लेयर शराब के सीधे संपर्क में आ जाती है। यह गली नस बाद में कैंसर का रूप ले लेती है।
बिना तंबाकू भी कैंसर :
बहुत से ऐसे भी लोग कैंसर के शिकार हो जाते हैं, जिन्होंने जीवन में तंबाकू व शराब को हाथ ही नहीं लगाया। ऐसे लोगों में खराब दांत, मुंह की गंदगी, हेपेटाइटिस बी आदि कैंसर के मुख्य कारण होते हैं।
हड्डी कैंसर : 10 से 30 साल या 70 साल की उम्र के लोगों में यह कैंसर होता है। कूल्हे की हड्डी का कैंसर सर्वाधिक होता है। हड्डी में रोध प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर कैंसर से बचाने वाले जीन प्रभावित हो जाते हैं और यह रोग होता है।
अब ब्लड सेंपल से कराएं जांच
कैंसर की जांच का अब सुगम तरीका आपके सामने है। जांच के लिए ऑनको स्योर डीआर-70 टेस्ट करा सकते हैं। इसका खर्च करीब 2500 रुपये है।
कैंसर के प्रकार : मुंह व गले का कैंसर, खाने की नली में कैंसर, पेशाब की थैली में, किडनी, पित्त की थैली, फेफड़े में, ब्रेस्च, बच्चे दानी आदि के कैंसर।
कैंसर के लक्षण
- मुंह का कम खुलना, खाना निगलने में परेशानी।
- गले में गांठ, लंबे समय तक खूनी या सूखी खांसी।
- मुंह व नाक से खून आना, यूरिन व लेट्रीन में खून।
- लंबे समय तक बार-बार उल्टी आना, भूख कम लगना।
नहीं हो रहा आदेश का पालन
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश है कि स्कूल-कालेजों के 100 मीटर के दायरे में गुटखा, पान मसाला नहीं बिके। इस निर्देश का इसका पालन नहीं हो रहा। स्कूलों के गेट पर ही यह मौत का सामान बिक रहा है। सरकारी तंत्र इस ओर से बेखबर हैं।