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सनातन धर्म ही शाश्वत, सत्य और साधना से युक्त है- रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज

सनातन धर्म ही शाश्वत, सत्य और साधना से युक्त है- रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज
राजेश कानोड़िया नवगछिया/ समसपुर (खगड़िया)। श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के तत्वावधान में खगड़िया जिले के गोगरी प्रखंड अंतर्गत महेशखूंट के समसपुर जवाहर प्लस टू विद्यालय में विराट व्यास गुरु पूर्णिमा महोत्सव वैसे तो 21 जुलाई को संपन्न हो गया। बावजूद कुछ कार्यक्रम शेष रह गया है। जहां श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के दर्शन, पूजन करने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचे थे। महोत्सव के विश्राम के दिन सबसे अंत में स्वामी आगमानंद महाराज ने संक्षिप्त में काफी मार्मिक संबोधन किया, जिसे सुनकर सभी लोगों की आंखें भर गई। स्वामी आगमानंद जी ने कहा कि गुरु और शिष्य की परंपरा अनादिकाल से है। भगवान भी जब इस धरा पर अवतरित होते हैं तो वे भी किसी गुरु के ही शरण में जाते हैं। 
स्वामी आगमानंद ने कहा कि उन्होंने भी अपने गुरु महाराज की अर्चना ब्रह्म मुहूर्त में की। समस्त गुरुजनों का प्रसाद पाकार मैं आज कुछ बोल पा रहा हूं। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि जिनको कोई गुरु नहीं है, वे भी आज गुरु बन जाते हैं। गुरु के आदेश के बिना स्वयं गुरु बन जाना पाप है। गुरु की आज्ञा, आदेश, संदेश और उपदेश से ही गुरु की उपाधि प्राप्त होती है। गुरु को भी गुरु चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु तत्व भी एक परंपरा है। गुरुतत्व बचपन से ही दिखने लगता है। आदि गुरु शंकराचार्य इसके प्रमाण है। बचपन से ही उनके गुरुत्व का अंश दिखने लगा था। रामानुजाचार्य ने बचपन में ही श्री भाष्य की रचना कर दी थी। ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म में सिद्ध होने के बाद भी ऐसे महान लोग भी गुरु की शरण में गए, उनसे दीक्षा और शिक्षा ली। स्वामी विवेकानंद जैसे ही विज्ञानी, तार्किक व शिक्षित व्यक्ति भी रामकृष्ण परमहंस जैसे सामान्य संत से दीक्षा ली। उनके शरण में गए। 
स्वामी आगमानंद ने कहा कि कुछ लोग सनानत धर्म में ही सेंध कर रहे हैं। इससे अपना हिंदू धर्म जो सभी के कल्याण के लिए है, वह कमजोर होता है। अपनी सनातन संस्कृति के लिए सभी को कार्य करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि सनातन की कई शाखाएं आज देश में है, जो चिंतनीय है। सनातन धर्म ही शाश्वत, सत्य और साधना से युक्त है। 
दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव को सफल बनाने में आयोजन समिति के अध्यक्ष सुधीर चौधरी और सचिव डा. मृत्युंजय सिंह गंगा का काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा। स्वामी आगमानंद ने दोनों का माल्यार्पण कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने आयोजन को अपना योगदान देने वाले सभी लोगों को आशीर्वाद दिया। अपने गुरु और ईश्वर को साक्षी मनाकर स्वामी आगमानंद ने विश्व के कल्याणार्थ सभी के लिए मंगलकामना की। गीतकार राजकुमार, पंडित ज्योतिन्द्र प्रसाद चौधरी, डा. आशा तिवारी ओझा ने भी सभी को संबोधित किया। गीतकार राजकुमार ने कहा- आई है गुरु पुर्णिमा, छाई लिये उजास। क्योंकि अवतरित हो गये, जगत पुज्य गुरु व्यास। कुंदन बाबा, स्वामी शिव प्रेमानंद भाई जी, स्वामी मानवानंद, मनोरंजन प्रसाद सिंह, पंडित प्रेम शंकर भारती इस अवसर पर कार्यक्रम में संरक्षक की भूमिका में थे। भागलपुर आत्मा के उपपरियोजना निदेशक प्रभात कुमार सिंह, संजीव कुमार, लक्ष्मण पांडेय, कौशल ने अपने गुरुदेव स्वामी आगमानंद जी की विशेष पूजा की।