तेतरी की महारानी माता दुर्गा |
नवगछिया के हजारों श्रद्धालुओं ने सोमवार की शाम माता दुर्गा की सवारी का साक्षात दर्शन किया | मौके पर पूरा वातावरण जय दुर्गे--- जय दुर्गे---- के जयकारे से गुंजायमान हो गया |
मौका था नवगछिया अनुमंडल के तेतरी गाँव स्थित दुर्गा मंदिर से दुर्गा माता की प्रतिमा के विसर्जन का । जो काफी वर्षों से हमेशा ही आकर्षक होता रहा है । इस मौके पर इलाके के सभी श्रद्धालु माता दुर्गा को अंतिम विदाई देते हैं । इस बार भी हजारों की संख्या में मंदिर प्रांगण में मौजूद थे श्रद्धालु । जबकि कल से ही लगातार वर्षा हो रही थी। इसके बावजूद हजारों की संख्या में जूटे थे ये श्रद्धालु। ये सभी श्रद्धालु मंदिर से प्रतिमा के साथ ही विसर्जन घाट कलबलिया धार तक जाते हैं । जो मंदिर के काफी नजदीक ही है। इस बार इसी विसर्जन घाट पर ही हजारों श्रद्धालुओं ने विसर्जन के दौरान माता की सवारी (भैंसा) को साक्षात देखा । जो बाद में कहाँ गया पता ही नहीं चला ।
पूजा समिति के सदस्यों सहित दर्जनों ग्रामीणों ने इस बात की पुष्टि की है कि पूजा का कलश सोमवार की सुबह साढ़े दस बजे लगभग इसी घाट पर विसर्जित किया गया था | उसी समय से एक भैंसा नदी में आकर बैठा था। सभी लोग कलश विसर्जन कर मंदिर वापस आ गए। जब पुनः शाम में प्रतिमा का विसर्जन करने उस जगह गए तो उस भैंसा को उसी जगह वैसी ही स्थिति में बैठा देखा गया, जिस स्थिति में वह सुबह आकर बैठा था। प्रतिमा के जल में विसर्जन करने से पहले तक वह उसी स्थिति में रहा । जैसे ही प्रतिमा को नदी के जल में विसर्जित किया गया वैसे ही वह भैंसा पानी से निकल कर बाहर चला गया। जिसका बाद में कोई अता पता नहीं चला।
ग्रामीणों और जानकारों के अनुसार इस बार माता के विदाई की सवारी भैंसा ही बताई गयी है | इस अद्भुत नजारे को हजारों लोगों ने यहाँ साक्षात देखा ।
बताते चलें कि भागलपुर जिले के गंगा पार स्थित है नवगछिया अनुमंडल । जहां के तेतरी दुर्गा मंदिर की प्रसिद्धि कई राज्यों सहित दूर दूर तक फैली हुई है | जहां श्रद्धालुओं की हर मन्नतें होती हैं पूरी | तभी तो दुर्गा पूजा के मौके पर कई राज्यों से श्रद्धालु तेतरी गाँव आते हैं । साथ ही अपनी मन्नत के अनुसार माता का शृंगार करते हैं। जानकारी के अनुसार इस साल भी यहाँ पाँच दर्जन से अधिक लोगों ने माता को सोने की बिंदिया, नथ और टीका इत्यादि चढ़ाया है । जिसकी सूची मंदिर की पूजा समिति के पास उपलब्ध है।