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मिस्र: खूनी संघर्ष में 200 समर्थकों की मौत

मिस्र में सत्ता से बेदखल किए गए राष्ट्रपति मुरसी के समर्थकों और सेना के बीच टकराव और बढ़ गया है। सड़क पर हिंसक झड़पें जारी हैं। मुस्लिम ब्रदरहुड ने आरोप लगाया है कि
शनिवार को सेना की फायरिंग में करीब 200 समर्थकों की मौत हुई है, जबकि सैकड़ों घायल हुए हैं। वहीं सेना ने एक बार फिर मुर्सी समर्थकों को चेतावनी दी है कि वो धरना प्रदर्शन बंद करें। लेकिन सेना की कार्रवाई और धमकी के बावजूद मुर्सी समर्थक हटने को तैयार नहीं।
मिस्र की जनता दो गुट में बंट चुकी है। एक तरफ हैं सत्ता से बेदखल किए गए मिस्र के पहले चुने गए राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के समर्थक, तो दूसरी तरफ हैं मुर्सी विरोधी और उनके साथ है देश की वो सेना जिसने मुर्सी को सत्ता से बेदखल किया, जिसे कल तक कट्टरपंथ को करारा जवाब देने के लिए शाबाशी मिल रही थी।
3 जुलाई को मुर्सी को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से मुर्सी समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा और झड़प में अबतक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। लेकिन शनिवार का दिन इस संघर्ष में सबसे ज्यादा खूनखराबे का दिन रहा। खूनखराबे और प्रदर्शन की जगह है काहिरा की मस्जिद रबा अल अदाविया का इलाका। यहां मुर्सी समर्थक सेना के खिलाफ धरने पर बैठे थे। ये धरना सेना के उस अल्टीमेटम के विरोध में था जिसमें मुर्सी समर्थकों को अपना विरोध प्रदर्शन बंद करने का आदेश दिया गया था।
मुर्सी समर्थक पार्टी मुस्लिम ब्रदरहुड के मुताबिक शनिवार तड़के करीब 3 बजे सेना और पुलिस ने मुर्सी समर्थकों को वहां से हटाने के लिए पहले आंसू गैस के गोले छोड़े और उसके बाद गोलियां चलने लगीं। ब्रदरहुड ने आरोप लगाया है कि सुरक्षा बलों ने निहत्थी भीड़ पर गोलियां बरसाईं। जवाब में मुर्सी समर्थक भी सुरक्षा बलों से भिड़े। गोलीबारी और हिंसा से अस्पतालों में जख्मियों का तांता लग गया और लाशें बिछ गईं है।
मुर्सी समर्थकों के मुताबिक शनिवार को सुरक्षा बलों की गोलीबारी और हिंसा में उनके करीब 200 लोगों की मौत हुई है। जबकि करीब 5 हजार लोग जख्मी हुए हैं। हालांकि मिस्र के स्वास्थ्य मंत्रालय ने झड़पों में मरने वालों की संख्या 80 बताई है।
शनिवार को खूनी हिंसा के बावजूद मुर्सी के समर्थक अभी भी काहिरा की सड़कों पर जमे हैं। सेना और अंतरिम सरकार की वहां से खदेड़े जाने की धमकियों के बावजूद उनका धरना जारी है। ब्रदरहुड के नेता शनिवार रातभर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते रहे और कहते रहे कि वो अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे। मुर्सी समर्थकों की सबसे बड़ी मांग है देश के पहले चुने गए राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को सत्ता वापस सौंपी जाए। सेना की साजिश की जांच हो।
इस बीच मिस्र की सेना द्वारा बनाए गए गृह मंत्री मोहम्मद इब्राहिम ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी भी दी है। जुलाई में दूसरी बार सेना ने विरोध प्रदर्शन कर रहे मुर्सी समर्थकों पर गोली चलाई है। इससे पहले 8 जुलाई को गोलीबारी में 53 मुर्सी समर्थक मारे गए थे।
मुर्सी समर्थकों के खिलाफ सेना की ताजा कार्रवाई को अब उन आवाजों का भी साथ मिलने लगा है जो कल तक मुर्सी विरोधी थे। शनिवार को हुई हिंसा के खिलाफ मिस्र के सबसे बड़े सुन्नी नेता माने जाने वाले काहिरा की अल अजहर मस्जिद के वरिष्ठ इमाम ने गलत बताते हुए इसकी जांच की मांग की है। यही नहीं अंतरिम सरकार के उपराष्ट्रपति मोहम्मद अलबरदेई ने भी बल के अत्यधिक प्रयोग की निंदा की है।
ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र ने भी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के खिलाफ बल प्रदर्शन की निंदा की थी। तो वहीं मौजूदा हालात पर अमेरिका ने भी चिंता जताते हुए कहा कि परिवर्तन के इस दौर में सभी का ख्याल रखा जाना चाहिए।
मिस्र के कई और इलाकों में भी मुर्सी समर्थक और विरोधियों के बीच हिंसक झड़पें जारी हैं। मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए कई जानकारों ने कहा है कि अगर वक्त रहते हालात पर काबू नहीं पाया गया तो मिस्र गृह युद्ध की ओर बढ़ सकता है।