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अध्यादेश मंजूर : बलात्कारी को मिल सकता है मृत्युदंड

जनाक्रोश ने बनवाया अध्यादेश, जल्द बनेगा कानून 
‘बलात्कार’ शब्द के स्थान पर ‘यौन हिंसा’ रखने का प्रस्ताव
बलात्कार की वजह से पीडिता की मौत होने या उसके कोमा में चले जाने की स्थिति में बलात्कारी को मृत्युदंड हो सकता है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए कठोर सिफारिशों को शीघ्र लागू करने के प्रयास के तहत शुक्रवार रात इस
संबंध में एक अध्यादेश को मंजूरी दी.
न्यायमूर्ति जे एस वर्मा समिति की सिफारिशों पर आधारित और उससे भी आगे जाकर इस अध्यादेश में ‘बलात्कार’ शब्द के स्थान पर ‘यौन हिंसा’ रखने का प्रस्ताव है ताकि उसके दायरे में महिलाओं के खिलाफ सभी तरह के यौन अपराध शामिल हों.
इसमें महिलाओं का पीछा करने, दर्शनरति, तेजाब फेंकने, शब्दों से अश्लील बातें करने, अनुपयुक्त स्पर्श जैसे महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराधों के लिए सजा बढाने का प्रस्ताव है. इसके दायरे में वैवाहिक बलात्कार को भी लाया गया है. सरकार ने इस कानून को महिलान्मुखी बनाते हुए यह सुझाव दिया है कि यौन अपराध की पीडिता का बयान केवल महिला पुलिस अधिकारी ही लेगी.
महिलाओं पर अत्याचार की सजा कड़ी
- परिभाषा में रेप की जगह सेक्सुअल असॉल्ट (यौन हमला) शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा।
- दुर्लभतम और बेहद गंभीर मामलों में आरोपी को मौत की सजा दी जा सकेगी।
- रेप के मामले में अधिकतम 20 साल की सजा संभव।
- रेप या गैंगरेप के वक्त गंभीर चोटें पहुंचाने पर प्राकृतिक मौत होने तक की सजा दी जा सकेगी।
- एसिड अटैक को अलग अपराध माना जाएगा। इसमें 10 साल से उम्रकैद तक सजा मिलेगी।
- महिलाओं की शालीनता भंग करने पर 2 से 5 साल तक सजा हो सकेगी।
- अश्लील हरकतें करने की सजा एक साल से बढ़ाकर तीन साल तक की जाएगी।
- महिलाओं का पीछा करना, उनकी तस्करी करने को भी अपराध माना जाएगा।
- प्रस्तावित कानून में वैवाहिक संबंधों में रेप के मामले को सेक्सुअल असॉल्ट नहीं माना जाएगा।
- रेप के मामलों में पुलिस या सरकारी कर्मचारियों के आरोपी होने पर गंभीर सजा का प्रावधान।
- रेप विक्टिम को शारीरिक और मानसिक रूप से लाचार और बेबस बनाने पर कठोरतम सजा मिलेगी।