
भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में साल भर पहले हुई नवजात शिशु की मौत के मामले की जांच करने 24 जनवरी गुरुवार को की गयी | जहां एसीएमओ सुरेन्द्र प्रसाद सिंह अनुमंडलीय अस्पताल नवगछिया पहुंचे थे ।
घटना 10 फरवरी 2012 की है। उस वक्त नवगछिया
बाजार निवासी रमेश कुमार अपनी बहन गौरी देवी को प्रसव करवाने अनुमंडलीय अस्पताल नवगछिया लाए थे। जहां कहा गया कि दस हजार रुपये जमा करो तभी रोगी की जांच की जाएगी। रमेश ने कहा गरीब आदमी हूं, एक हजार रुपये भी नहीं दे सकता हूं। इस पर कर्मियों ने उसे डांट फटकार कर भगा दिया और उसे अस्पताल में भर्ती नहीं किया। रोगी अस्पताल के कोने में दर्द से तड़पती रही। रमेश बहन को देखने के लिए नर्स, डॉक्टर से अनुरोध किया। परंतु किसी ने भी नहीं देखा 11 फरवरी की सुबह काफी तेज दर्द हुआ। रमेश ड्यूटी पर मौजूद नर्स से कहा परन्तु किसी ने भी नहीं सुना। रोगी को हालत बिगड़ता देख रोगी को अस्पताल से रिक्शा पर लाद कर निजी क्लिनिक ले जाने की तैयारी कर रहे थे कि महिला से नवजात शिशु ने जन्म लिया। डाक्टर के देख रेख के अभाव में 15 मिनट के बाद बच्चे की मौत हो गयी।
रमेश कुमार ने इसकी शिकायत सिविल सर्जन से की थी। जांच में सफाईकर्मी मनोरमा देवी, नर्स मीरा कुमारी, डाक्टर सह अस्पताल उपाधीक्षक वासुदेव मंडल का बयान कलम बद्ध किया गया । उस दिन डयूटी पर डाक्टर वासुदेव मंडल उपस्थित थे। एसएमओ ने बताया प्रसव के लिये गौरी देवी अस्पताल में आई थी। रुपये मांगने को लेकर 16 घंटा अस्पताल में रहने के बाद भी भर्ती नहीं किया। देखरेख के अभाव में नवजात शिशु की मौत हो गयी। घटना से दो दिन पूर्व मां का अल्ट्रासाउंड करवाया गया था। मां के पेट में बच्चा जीवित व स्वस्थ्य था। मामले की जांच की जा रही है।