शिवशक्ति योगपीठ में 75 परिवार के लोग सामूहिक महारुद्राभिषेक कर हुए शिवभक्ति में लीन
राजेश कानोड़िया, नवगछिया। देवाधिदेव महादेव की आराधना के पवित्र माह सावन में श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया में एक साथ सैकड़ों श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना में लीन हो गए। इस दौरान 75 से ज्यादा परिवारों ने एक साथ अलग-अगल पार्थिव व नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित कर सात घंटे तक महारुद्राभिषेक किया। श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर सह श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषण कुंड अयोध्या के उत्तराधिकारी जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के सानिध्य में वेद विद्यापीठ गुरुधाम बौंसी और श्री शिवशक्ति योगपीठ के तीन दर्जन से ज्यादा विद्वान पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यह अनुष्ठान संपन्न हुआ। जहां वे प्रत्येक शिवलिंग के पास पहुंचकर पूजा करा रहे पंडितों और यजमान को दिशा-निर्देश दे रहे थे। स्वामी आगमानंद जी ने स्वयं सभी का संकल्प करवाया।
इस दौरान योगपीठ में मौजूद भजन कलाकरों ने बीच-बीच में भगवान शिव के भजनों की गंगा बहायी। श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलीसदास रचित "नमामि शमीशान निर्वाण रूपं" रुद्राष्टकम सुनकर सभी भावविभोर हो उठे। इसके बाद स्वामी आगमानंद ने भगवान शिव की आरती की। आरती गाऊं-गाऊं-गाऊं गाकर उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न किया। महारुद्राभिषेक करने के लिए भागलपुर, नवगछिया, बांका, सहरसा, पूर्णिया, दरभंगा, मधेपुरा, सुपौल सहित कई राज्यों से लोग पहुंचे थे। समारोह देखने भी सैकड़ों लोग उपस्थित हुए। सभी ने स्वामी आगमानंद जी महाराज से मिलकर आशीर्वाद भी लिया। स्वामी आगमानंद ने भगवान शिव की आराधना की। कहा- शिव की सृष्टि है। इसके बाद गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद के जन्मोत्सव पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता स्वामी अगमानंद ने की। गोष्ठी में मानस कोकिला कृष्णा मिश्रा, पंडित ज्योतिन्द्राचार्य जी महाराज, ज्योतिषाचार्य पंडित शिवशंकर ठाकुर, वेदांती शंभु नाथ शास्त्री, गीतकार राजकुमार, सिया शरण पोद्दार, आलोक कुंदन, पंडित शिवनंदन, चंद्रशेखर मिश्र, स्वामी शिवप्रेमानंद भाई जी, स्वामी मानवानंद, मनोरंजन प्रसाद सिंह, सुबोध दा, विनय सिंह परमार, दिलीप शास्त्री, अनुराग पंकज, मनोज, कुंदन बाबा, प्रो. डा. नीलम महतो, आशा ओझा, आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। कहा कि- भगवन शिव राम की भक्ति करने से प्रसन्न होते हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने राम की भक्ति का मूलमंत्र श्री रामचरितमानस हमको दिया है, जो राष्ट्रीय ग्रंथ के समान है। मुंशी प्रेमचंद साहित्य के पुरोधा हैं। मधुव्रत चौधरी, डॉ विवेक, ज्योति सिंह, रामबालक भाई, आशीष पांडेय, चंद्रशेखर मिश्र, अद्वैत मिशन शिक्षण संस्थान के चेयरमेन अरविन्दाक्षण मांडबथ आदि मौजूद थे।