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टीएमबीयू के पीजी होम साइंस विभाग में गुरु-शिष्य परंपरा पर आयोजित हुआ कार्यक्रम

टीएमबीयू के पीजी होम साइंस विभाग में गुरु-शिष्य परंपरा पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
भागलपुर। राजभवन और विश्वविद्यालय के निर्देश पर शनिवार को टीएमबीयू के पीजी होम साइंस फूड एण्ड न्यूट्रीशन विभाग में गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरु पूर्णिमा के पूर्व दिवस पर विभाग में यह आयोजन हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में विभाग की छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग की हेड डॉ शेफाली ने की।
जबकि मुख्य अतिथि टीएमबीयू के पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर थे। मुख्य अतिथि डॉ दिनकर ने कहा की गुरु और शिष्य का संबंध काफी पवित्र, मधुर और महान होता है। गुरु ज्ञान का प्रकाश बिखेरते हैं। गुरु के बिना ज्ञान और जीवन अधूरा है। गुरु शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति की विशिष्ट पहचान है। उन्होंने कहा की शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं। वे पथ-प्रदर्शक होते हैं।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में पीजी होम साइंस विभाग की हेड डॉ शेफाली ने कहा की भारत में गुरु शिष्य की परंपरा का प्रचलन काफी प्राचीन रहा है। गुरु के सानिध्य में ही शिष्य अपने लक्ष्य और जीवन की ऊंचाइयों को छूता है। उन्होंने कहा की गुरु पूर्णिमा का प्रचलन भारत में सदियों से रहा है।
गुरु को भगवान तुल्य माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार संसार के सबसे पहले गुरु भगवान शिव हैं। उन्होंने कबीरदास के प्रसिद्ध दोहे "गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय, लिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय" के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा की गुरु और भगवान दोनों ही हमारे सम्मुख खड़े है, परन्तु गुरु ने ईश्वर को जानने का मार्ग दिखाया है। यानी जब आपके समक्ष गुरु और ईश्वर दोनों विद्यमान रहे तो पहले गुरु के चरणों में अपना शीश झुकाएं, क्योंकि गुरु से ही हमें ईश्वर के पास पहुंचने का ज्ञान व मार्ग प्राप्त हुआ है। 
गीता में भगवान कृष्ण ने गुरु-शिष्य परंपरा को ‘परम्पराप्राप्तम योग’ बताया है। गुरु-शिष्य परंपरा का आधार सांसारिक ज्ञान से शुरू होता है। उन्होंने गुरु शिष्य परंपरा को भारतीय संस्कृति की महान धरोहर बतलाई। भारतीय इतिहास में गुरु की भूमिका सदैव से ही समाज सुधार की ओर ले जाने वाली भी रही है।
विभाग की हेड डॉ शेफाली ने गुरु-शिष्य की महत्त्वता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
           गुरु-शिष्य परंपरा कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया। वहीं जूही, खुशबू और निधि द्वारा प्रस्तुत कुलगीत से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। स्वागत गान स्वीटी, खुशबू, निधि और जूही ने सामूहिक रूप से स्वागत गान की प्रस्तुति दी। एंकरिंग चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा अनिशा और ईशा ने की। मौके पर विभाग की छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश की। साथ ही छात्राओं ने गुरु शिष्य परंपरा पर अपने उदगार भी व्यक्त किए। इस अवसर पर विभाग की शिक्षिका डॉ रेणु रानी जायसवाल, डॉ अंजू सिंह और डॉ ममता कुमारी ने भी अपने विचार रखे।