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रामू है अंग क्षेत्र का धरोहर और नगरह पुण्य भूमि, जहां कई देवी-देवताओं का साक्षात वास है: स्वामी अनंताचार्य

रामू है अंग क्षेत्र का धरोहर और नगरह पुण्य भूमि, जहां कई देवी-देवताओं का साक्षात वास है: स्वामी अनंताचार्य
नव-बिहार समाचार, नवगछिया (भागलपुर)। ऐसे शिष्य बहुत मुश्किल से ही मिलते हैं। पूरा देश भ्रमण करने के बाद मैंने इसे ढूंढ निकाला है। वास्तव में आपका यह रामू अंग क्षेत्र का धरोहर है। अब इनका सानिध्य अयोध्या में भी लोगों को मिलेगा। ये बातें श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के पीठाधीश्वर श्रीमद्जगतगुरु रामानुजाचार्य अनंत श्री विभूषित बाल ब्रह्मचारी स्वामी अनन्ताचार्य महाराज ने मंगलवार को नगरह स्थित दुर्गा मंदिर परिसर में अपने अवतरण दिवस समारोह के दौरान बतायी।
इसी क्रम में स्वामी अनंताचार्य ने यह भी कहा कि नगरह पुण्य भूमि है। यहां कई देवी-देवताओं का साक्षात वास है। यहां के लोग धन्य हैं। उन्होंने कहा कि संत और असंत दोनों दुखदायी है। संत से अलग होने के समय और असंत से मिलने के समय दुखदायी होता है। इच्छा रहती है कि संत का सानिध्य हमेशा होता रहे और असंत से कभी भी भेंट नहीं हो। उन्होंने गुरु की महत्ता पर चर्चा करते हुए कि सच्चा गुरु लोगों का उद्धार करता है। भवसागर पार करवा देता है। मोक्ष प्राप्त करवता है। ईश्वर प्राप्ति का माध्यम है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में गुरु का बहुत ही बड़ा महत्व है।
इस कार्यक्रम का संचालन व संयोजन स्वामी अनंताचार्य जी महाराज के शिष्य व उत्तराधिकारी श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महराज ने किया। इस दौरान आचार्य शिवशंकर ठाकुर, गीतकार राजकुमार, कुंदन बाबा, मनोरंजन प्रसाद सिंह, शिव प्रेमानंद, स्वामी मानवानंद, रविन्द्र झा, ज्योतिष प्रसाद सिंह, सुबोध दा, धीरू मंडल, देव नारायण मंडल, सोहन हरिजन आदि वहां मौजूद थे। जहां कार्यक्रम की शुरुआत गुरुदेव स्वामी अनन्ताचार्य के पूजन से हुआ। वहीं स्वामी आगमानंद जी महाराज ने "आरती गाऊं, गाऊं, गाऊं गुरुदेव जी की मैं" गाकर सभी को गुरुभक्ति में लीन कर दिया। इस आरती में गायक बलवीर सिंह बग्घा, माधवानंद ठाकुर व अन्य कलाकार भी साथ दे रहे थे। कार्यक्रम में एक हजार से जयादा लोग शामिल हुए। 
यहां बता दें कि समारोह स्थल नगरह गांव स्वामी आगमानंद जी का पैतृक गांव है और वे वहां रामू बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं। इससे दोनों संतों ने देवी दुर्गा की पूजा की। कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कहा कि मैं कहीं स्थिर नहीं रहता हूं, क्योंकि मुझे गुरुदेव का आदेश मिला है कि हमेशा चलते रहे। उन्होंने कहा कि योगपीठ में भी मैं उतना दिन विश्राम नहीं किया हूं, जितना दिन का सानिध्य वहां आप लोगों को गुरुदेव स्वामी अनंताचार्य जी का मिला है। उन्होंने कहा कि गुरुदेव के आदेश से मैंने अपना संपूर्ण जीवन गीता, गंगा, गौ, गायत्री व गोविन्द को समर्पित कर दिया है। आज सौभाग्य है कि गुरुदेव की कृपा व आशीर्वाद हमारे साथ यहां के लोगों को मिल रहा है। भजन सम्राट डा. हिमांशु मोहन मिश्र दीपक जी के भजनों पर सभी थिरकने लगे।