एक पत्रकार ऐसा है जिससे थर-थर कांप रही भूपेश बघेल सरकार!, जानें कैसे
नव-बिहार समाचार। मीडिया हाउसों के मालिकों ने जब से अपने अपने संस्थानों को सत्ताओं-सरकारों के सामने गिरवी रख दिया है, तब से इन संस्थानों में काम करने वाले पत्रकारों की वैल्यू बुरी तरह गिरी है. इसके कारण रीढ़ वाले पत्रकारों ने खुद के अपने पोर्टल, यूट्यूब चैनल, अखबार आदि शुरू कर दिया है. लेकिन इन रीढ़ वाले पत्रकारों के तेवर सरकारों को पसंद नहीं आते क्योंकि उनके यहां बाकी बड़े मीडिया संस्थान कुत्ते की तरह पूंछ हिलाते टुकड़े के लिए ताकते बैठे रहते हैं. इसी कारण सरकारें रीढ़ वाले पत्रकारों को सबक सिखाने पर आमादा रहती हैं. लेकिन जब ये रीढ़ वाले पत्रकार जेल भेजे जाने के बाद भी सरकारी सबक नहीं सीख पाते तो सरकारों को डरना पड़ता है. छत्तीसगढ़ उदाहरण है.
यहां सुनील नामदेव नामक पत्रकार से भूपेश बघेल की सरकार थर थर कांप रही है. सुनील नामदेव कभी आजतक न्यूज चैनल में काम करते थे. भूपेश बघेल सरकार ने पहले तो इन्हें आजतक चैनल से निकलवाया. सुनील नामदेव ने जब खुद का पोर्टल और डिजिटल चैनल शुरू कर बेबाक रिपोर्टिंग शुरू की तो सरकार के चहेते अफसरों को मिर्ची लगने लगी. सुनील नामदेव को ढेर सारे फर्जी केसों में फंसाकर जेल भेज दिया गया. उनके घर मकान तोड़ दिए गए.
पत्रकार सुनील नामदेव जब जेल से छूटकर आए तो सरकार की खबर बिना डरे लेते रहे. इसी बीच ईडी ने छत्तीसगढ़ के उगाही रैकेट पर हमला बोल दिया और सुनील नामदेव को रिपोर्टिंग का सुनहरा मौका मिल गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जिस चहेती अफसर सौम्या चौरसिया ने सुनील नामदेव को प्रताड़ित कराया था, सुनील नामदेव ने सौम्या के ईडी की गिरफ्त में आने के बाद उनके ही सामने जो रिपोर्टिंग की, वह पूरे देश में वायरल हो गया. सुनील नामदेव इस मौके पर निजी खुन्नस भी निकालने से न चूके और रिपोर्टिंग करते करते जजमेंट्ल भी हो गए. उन्होंने सौम्या चौरसिया को भ्रष्टाचारिन और भ्रष्टाचार की मूर्ति समेत न जाने क्या क्या कह दिया. अभी जबकि सब कुछ जांच के दायरे में है और कोर्ट का फैसला आना बाकी है, किसी को भ्रष्टाचारी बता देना उचित नहीं है. लेकिन ये भी कहां उचित है कि किसी पत्रकार को सरकार के खिलाफ कवरेज करने पर उस पर फर्जी मुकदमे लादकर उसे जेल भेज दिया जाए.
वर्तमान में स्थिति ये है कि सुनील नामदेव की सौम्या चौरसिया वाली हालिया रिपोर्टिंग से घबड़ाई छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने दर्जनों पुलिस अफसरों और सैकड़ों पुलिसकर्मियों को सिर्फ इस काम पर लगा दिया है कि सुनील नामदेव किसी भी तरीके से सौम्या चौरसिया की कोर्ट में पेशी के दौरान इनके इर्दगिर्द न पहुंच जाए. सुनील नामदेव जिस अंदाज में ललकारते हुए भूपेश बघेल की खास अफसर की सच्चाई बयान करते है, उसका वीडियो बहुत तेजी से वायरल हो जाता है. इसे रोकने के लिए भूपेश बघेल सरकार ने छह डिप्टी एसपी, दर्जन भर थानेदार, कई दर्जन दरोगा, सैकड़ा भर पुलिसकर्मी सुनील नामदेव को रोकने के लिए तैनात करा दिया है.
सुनील नामदेव ज्यों ही कवरेज के लिए अपने घर से निकलते हैं, पुलिस वाले उन्हें रोक देते हैं. ये भी एक तरह से तानाशाही है. लोकतंत्र में आप एक पत्रकार को कवरेज करने से सत्ता की ताकत के बल पर रोक रहे हैं, ये सरासर नाइंसाफी है. सरकार हुजूर पहले तो पत्रकार को फर्जी मामलों में जेल भिजवाते हैं, जब पत्रकार से जेल छूट कर आता है तो उसे कवरेज करने से रोकने के लिए सैकड़ों पुलिस वालों को लगा देते हैं. आखिर एक पत्रकार से छत्तीसगढ़ सरकार को इतना डर क्यों लगता है?
शायद इसी भय के कारण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की खास अफसर सौम्या चौरसिया ने कोर्ट में याचिका लगाकर कुछ मीडिया हाउसों और पोर्टलों को कवरेज करने से रोकने की मांग उठाई है.
फिलहाल तो सुनील नामदेव की पत्रकारिता का सिक्का चल रहा है छत्तीसगढ़ में. ये केस उन भ्रष्टाचारी अफसरों और नेताओं के लिए सबक है जो खुद तो अरबों खऱबों की उगाही कराने वाले सिस्टम के मुखिया बने रहते हैं लेकिन जब कोई उनकी खोज खबर छापता है तो उसके दुश्मन बनकर उसे जेल भिजवा देते हैं. वक्त सबका हिसाब कराता है. छत्तीसगढ़ में पत्रकारों को प्रताड़ित करने वालों का हिसाब थोड़ा जल्दी हो रहा है.
भड़ास4मीडिया से साभार