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मंदार की भूमि सिद्ध भूमि और पर्वत साक्षात शिव स्वरूप है : स्वामी आगमानंद

नव-बिहार समाचार, मंदार (बांका)। मंदार में आयोजित सीताराम विवाह महोत्सव के अवसर पर नवगछिया स्थित श्रीशिवशक्ति योगपीठ के संस्थापक परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने भागवत कथा के दौरान मंदार के मर्म को सुनाया। उन्होंने कहा कि मंदार की भूमि को सिद्ध भूमि कहा गया है। निश्चित रूप से सृष्टि के आदि काल से मंदार पर्वत साक्षात शिव स्वरूप हैं।

मौके पर अखिल भारतीय गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्रानाथ महाराज के सानिध्य में कामधेनु का अभिषेक एवं मंदार परिक्रमा हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि पर्वत के अंतर्गत कभी-कभी जब संत मनीषी मिल जाते हैं तो चर्चा होती है कि मंदार पर्वत के अंतर्गत सभी तीर्थ हैं। श्रीमद भागवत कथा में पुराणों में वर्णित है। जिसमें 14 प्रकार के रत्न की प्राप्ति हुई थी। रत्नों में पहला रत्न विष था और विष को पीने वाले भगवान विश्वनाथ भी मंदार पर्वत पर अवस्थित हैं। जो दक्षिण स्कंध में है।