नव-बिहार समाचार, नवगछिया। तिलकामांझी भागलपुर विश्व विद्यालय की गंगा पार नवगछिया स्थित अंगीभूत इकाई मदन अहल्या महिला महाविद्यालय आज नारी शक्ति का केंद्र है। जिसकी स्थापना
पूर्व राज्यमंत्री स्व मदन प्रसाद सिंह और पूर्व प्राचार्या स्व अहल्या देवी के अथक प्रयास से ही संभव हुई थी। नारी शिक्षा के प्रति काफी कम ही लोग सोचते हैं। लेकिन इस कॉलेज के संस्थापकों ने बगैर अपने किसी स्वार्थ के इस क्षेत्र में ऐसा वृक्ष लगाया है जिसका लाभ सभी तबकों के लोग ले रहे हैं।
उपरोक्त बातें परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने नवगछिया स्थित मदन अहल्या महिला महाविद्यालय में सोमवार को आयोजित पुष्पांजलि स्मारिका के विमोचन के मौके पर कही। इसी क्रम में परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने यह भी बता डाला कि मदन बाबू से काफी आत्मीय रिश्ता था और 2004 में अहल्या जी से उनकी सेवा निवृति पर आयोजित विदाई समारोह के मौके पर अपनी पहली पत्रिका अंगवाणी का लोकार्पण करवाया था। आज भी मैं उनका ऋणी हूँ। स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कॉलेज कर्मियों को सलाह दी कि महाविद्यालय द्वारा प्रतिवर्ष स्मारिका प्रकाशित करानी चाहिये। इसके लिये महाविद्यालय के सभी कर्मि अपेक्षित सहयोग दें।
इससे पहले स्वामी जी ने यह भी बताया कि आज ग्रंथ ही जीवित हैं, न कि उनके रचयिता। हम या आप भी अपनी रचना, पत्र और पत्रिका अथवा पुस्तक के माध्यम से ही जीवित रह सकते हैं। पत्र पत्रिका के प्रकाशन से बौद्धिक क्षमता का विकास होता है।
मदन अहल्या महिला महाविद्यालय में संस्थापक द्वय की आयोजित पुण्यतिथि के मौके पर तिलकामांझी विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो राम यतन प्रसाद, विश्वविद्यालय के पीजी रसायन शास्त्र विभाग के सेवानिवृत विभागाध्यक्ष प्रो डॉ ज्योतिन्द्र चौधरी, विवि के पूर्व रजिस्ट्रार सह स्मारिका के संपादक प्रो महावीर साहा, प्रभात खबर के भागलपुर संपादक विजेंद्र दुबे, प्राचार्या भावना झा तथा स्व मदन प्रसाद सिंह के पुत्र अमरेंद्र सिंह मुन्ना इत्यादि ने सामूहिक रूप से पुष्पांजलि स्मारिका का विमोचन किया। इस कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के प्रो डॉ अवधेश झा तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो विन्देश्वरी प्रसाद सिंह ने किया।