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बड़ी खबर:1989 दंगा के मुख्य आरोपी कामेश्वर यादव रिहा


भागलपुर/पटना। 1989 में हुए भागलपुर दंगा के मुख्य आरोपी कामेश्वर यादव को आज हाइकोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया है। हालांकि हाइकोर्ट का आदेश
आज भागलपुर कोर्ट को प्राप्त नहीं हुआ है। उम्मीद है कि कल शुक्रवार को आदेश आएगा और कामेश्वर यादव जेल से बाहर आ जाएंगे।
बिहार के बहुचर्चित भागलपुर दंगा मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे कामेश्वर यादव को गुरुवार को पटना उच्च न्यायालय ने एक बड़ी राहत देते हुए इस मामले में निचली अदालत द्वारा दिये गये आजीवन कारावास की सजा को निरस्त करते हुए बरी करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है. न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह की एकलपीठ ने कामेश्वर यादव की ओर से दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए गुरूवार को यह फैसला सुनाया. उल्लेखनीय है कि इस मामले में पटना उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने अभियुक्त कामेश्वर यादव के मामले की सुनवाई करते हुए अपना अलग-अलग फैसला सुनाया था. दोनों न्यायाधीशों के मतभिन्नता को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को तीसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह की एकलपीठ में विचार करने के लिए भेजा था ताकि अभियुक्त के साथ न्याय हो सके.गौरतलब है कि 24 अक्तूबर 1989 को बिहार के भागलपुर शहर में हिन्दू और मुस्लिमों के बीच दंगा हुआ था. दंगा की प्राथमिकी घटना के तीन महीने बाद दर्ज की गयी थी. पुलिस ने मामले का अनुसंधान करने के बाद अंतिम प्रपत्र भी समर्पित कर दिया. बाद में करीब सोलह वर्ष के बाद राज्य सरकार द्वारा भागलपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में एक आवेदन इस आशय का दिया गया कि भागलपुर दंगा मामले की जांच नये सिरे से करने की अनुमति दी जाय.मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने राज्य सरकार की दलील को सुनने के बाद मामले का अनुसंधान नये सिरे से करने का निर्देश 28 जुलाई 2006 को दे दिया. पुलिस ने मामले का अनुसंधान करते हुए इस मामले में दोषी पाते हुए 30 अप्रैल 2006 को अभियुक्तों के विरूद्ध अदालत में ट्रायल कराने की अनुमति मांगी. जिसपर भागलपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने 07 अक्तूबर 2006 को संज्ञान लेते हुए ट्रायल के लिए भेज दिया. करीब तीन वर्ष तक इस मामले का ट्रायल निचली अदालत में चलता रहा.ट्रायल के दौरान राज्य सरकार की ओर से 9 गवाह पेश किये गये. इस मामले की सुनवाई कर रहे भागलपुर की अदालत ने 6 नवम्बर 2009 को भागलपुर दंगा के लिए कामेश्वर यादव को दोषी करार दिया और 9 नवम्बर को अदालत ने इस मामले में कामेश्वर यादव को उम्रकैद और जुर्माना की सजा सुनायी. निचली अदालत के उक्त फैसले को चुनौती देते हुए कामेश्वर यादव ने पटना उच्च न्यायालय में एक आपराधिक अपील दायर की जिसपर न्यायाधीश धरनीधर झा एवं न्यायाधीश एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने सुनवाई की. लेकिन सुनवाई के उपरांत निर्णय देने में दोनों न्यायाधीशों में मतभिन्नता हो गयी. एक ओर जहां न्यायाधीश धरनीधर झा ने निचली अदालत के फैसले को गलत करार देते हुए अभियुक्त कामेश्वर यादव को रिहा करने का आदेश दिया. वहीं दूसरी ओर न्यायाधीश एहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए याचिकाकर्ता को किसी भी प्रकार का राहत देने से इंकार कर दिया.जिसके बाद पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह को तीसरा न्यायाधीश मनोनीत करते हुए इस मामले की सुनवाई का निर्देश दिया. न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह की एकलपीठ ने इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने एवं दोनों न्यायाधीशों के आदेशों का अवलोकन करने के बाद भागलपुर दंगा में निचली अदालत द्वारा दोषी पाये गये अभियुक्त कामेश्वर यादव को आरोपों से बरी करते हुए रिहा करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया.