ताजा समाचार :

6/Posts/ticker posts

उत्तराखंड के जंगलों की आग हुई भयानक, वायु सेना ने झोंकी ताकत

उत्तराखंड में गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक धधक रहे जंगलों की आग बुझाने के लिए अब शासन-प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीआरडी के साथ ही अब वायु सेना की मदद ली जा रही है। गढ़वाल क्षेत्र में वनाग्नि पर काबू पाने के लिए वायु सेना का ग्यारह सदस्यीय दल एमआई-17 से शनिवार को पहुंचा। दल एमआई 17 से पानी की बौछार कर आग बुझाएगा।

पहले चरण में पौड़ी जिले के जंगलों की आग बुझाई जाएगी। जिलाधिकारी चंद्रशेखर भट्ट ने बताया कि राज्य के जंगलों में लगी भीषण आग को देखते हुए शासन ने हेलीकॉप्टर से आग बुझाने का निर्णय लिया है।

एमआई-17 से वायु सेना का 11 सदस्यीय दल स्क्वाड्रन लीडर एसके यादव के नेतृत्व में शनिवार करीब चार बजे श्रीनगर के जीवीके हेलीपैड पर पहुंचा। हेलीकॉप्टर में श्रीनगर परियोजना की झील से पानी भरा जाएगा। एसडीएम रजा अब्बास स्थानीय स्तर पर वायु सेना का सहयोग करेंगे।

धधक रहा कुमाऊं, भीमताल से पानी भर एमआई-17 ने बुझाई आग

वहीं कुमाऊं के जंगल में भी आग थमने का नाम नहीं ले रही है। शनिवार को नैनीताल जिला प्रशासन ने भीमताल और आसपास के क्षेत्रों के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर मंगा लिया है। शनिवार को एमआई-17 ने भीमताल झील से पानी लेकर जंगल में लगी आग को बुझाया।

इसके अलावा जिला प्रशासन ने पैराग्लाइडिंग पर तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगा दी है। रविवार की सुबह हनुमानगढ़ी से अभियान की शुरूआत होगी। एयरफोर्स की टीम सरसावा (सहारनपुर) से आई है।

नैनीताल जिले समेत कुमाऊं में पहाड़ी जिलों के अधिकांश जंगल धधक रहे हैं। नैनीताल डीएम दीपक रावत ने बताया कि सरसवा (सहारनपुर) से एयरफोर्स की टीम आ गई है। रविवार की सुबह हनुमानगढ़ी से टीम आग बुझाने की काम शुरू करेगी। उन्होंने बताया कि एयरफोर्स की टीम में सात लोग आए हैं और एक एमआई 17 हेलीकॉप्टर आया है।

थमने का नाम नहीं नहीं ले रही गढ़वाल की आग

उधर, पौड़ी शहर के समीपवर्ती जंगलों में भड़की आग अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है। पौड़ी-खिर्सू मार्ग में गोड़ख्याखाल से आगे कई जगहों पर जंगलों में आग भड़की हुई है। बांज के जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। सुंगरखाल-सीकू-ज्वाल्पा मोटर मार्ग के नीचे पड़ने वाले निसणी गांव का जंगल भी आग की चपेट में आ चुका है।

कोट ब्लॉक में भी कई जगह आग भड़की हुई है। आग से चारों तरफ धुंध ही धुंध छाई हुई है। इस वजह से पौड़ी से सामने की पहाड़ियां बिल्कुल नहीं दिखाई दे रही हैं।

जिलाधिकारी चंद्रशेखर भट्ट ने बताया कि वनाग्नि पर काबू पाने के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। पौड़ी जिले में एनडीआरएफ के 36, एसडीआरएफ के 35 और पीआरडी के जवान के 70 जवान आग बुझाने में जुटे हैं। इसके अलावा वन विभाग और फायर विभाग की टीमें भी लगी हुई है। अब आग बुझाने के लिए वायु सेना का हेलीकाप्टर भी जिले को उपलब्ध हो गया है, जो प्रभावित क्षेत्रों में जाकर कृत्रिम वर्षा के जरिये आग को बुझाने का प्रयास करेगा।

वन अधिकारियों और कर्मियों की छुट्टियां निरस्त

रुद्रप्रयाग, गोपेश्वर। अपर प्रमुख वन संरक्षक गढ़वाल गंभीर सिंह ने कहा कि वनाग्नि की विकरालता को देखते हुए समस्त वन अधिकारियों और कर्मियों की छुट्टियां निरस्त कर दी गई हैं। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डॉ. राघव लंगर ने भी जिला स्तरीय अधिकारियों की छुट्टियां निरस्त करते हुए उन्हें मुख्यालय पर बने रहने के निर्देश दिए हैं। ऐसा नहीं होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

अपर प्रमुख वन संरक्षक गढ़वाल गंभीर सिंह ने कहा कि वनाग्नि की अभी तक की सभी घटनाएं मानव जनित हैं। पिछले चार वर्षों के अंतराल में वनाग्नि का यह सबसे विकराल रूप है। पत्रकारों से बातचीत में अपर प्रमुख वन संरक्षक ने कहा कि चीड़ के पेड़ वनाग्नि को बढ़ावा दे रहे हैं।

चीड़ के पौधों का रोपण नहीं होता है, बल्कि ये प्राकृतिक रूप से हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वन पंचायत के वनों में आग लगाने को लेकर ग्रामीणों में भ्रांति है कि आग लगाने से घास की उत्पादकता बढ़ जाती है, जबकि ऐसा नहीं है। आग लगने से सीजनल घास नष्ट हो जाती है।