आरएसएस नहीं चाहता कि उसके स्वयंसेवक नमो-नमो करते रहें। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक सर संघचालक मोहन भागवत ने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है, कि बीजेपी के लिए काम करते हुए वे मर्यादा रेखा को न पार करें और किसी खास व्यक्ति के लिए अभियान चलाने से बचें। इस खबर से विरोधियों को नरेंद्र मोदी पर हमले का मौका मिल गया। बाद में संघ ने सफाई दी कि मोहन भागवत के बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है।
बीजेपी के नेता, पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के नाम पर नमो-नमो जप रहे हैं, लेकिन संघ ने अपने स्वयंसेवकों के लिए मर्यादा रेखा खींच दी है। मंगलवार को इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक रविवार को बेंगलुरू में हुई संघ की प्रतिनिधिसभा में संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों से कहा कि हम राजनीति में नहीं हैं, हमारा काम नमो-नमो करना नहीं है। हमें अपने लक्ष्य के लिए काम करना है।
खबर के मुताबिक सर संघचालक मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों से किसी शख्सियत को ध्यान में रखकर अभियान चलाने से भी दूर रहने को कहा। एक स्वयंसेवक ने जब भागवत को सलाह दी कि संघ और बीजेपी की भूमिका चाणक्य और चंद्रगुप्त जैसी होनी चाहिए तो जवाब मिला हमारी अपनी मर्यादा है। हमें मर्यादा नहीं तोड़नी है।
प्रतिनिधि सभा की बैठक में बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और आरएसएस प्रचारक से बीजेपी महासचिव बने रामलाल भी मौजूद थे। संघ के रुख ने नरेंद्र मोदी के विरोधियों को उन पर हमले के लिए गोला बारूद मुहैया करा दिया है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज मोदी बीजेपी से भी बड़े हो गए हैं। दिल्ली में पोस्टर देखिए, किसकी सरकार मोदी की सरकार यानी बीजेपी की नहीं। मैं तो खुद आरएसएस से पूछना चाहता हूं कि उनका लक्ष्य क्या है।
एसपी नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि आरएसएस चीफ ने बिल्कुल सही कहा है। मोदी बीजेपी के सारे नेताओं को किनारे करते जा रहे हैं। भागवत को भी ये डर सता रहा है कि आरएसएस का दबदबा बीजेपी में खत्म हो जाएगा। आरएसएस का जो हुक्म बीजेपी में चलता है वो नहीं चलेगा।
मामले को मोदी विरोध की दिशा में आगे बढ़ता देख संघ की सफाई आते देर नहीं लगी। संघ प्रतिनिधि राम माधव ने ट्वीट किया कि भागवत जी के भाषण के गलत मायने निकाले जा रहे हैं। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि संघ का जोर मुद्दों पर होगा, जबकि पार्टी अपने हिसाब से चलेगी।
बाहरहाल, जो नुकसान होना था वो तो हो गया। सियासी गलियारे में सवाल गूंज गया कि क्या संघ नरेंद्र मोदी की कथित व्यक्तिवादी शैली से नाराज हो गया है? ये भी साफ है कि बीजेपी संघ के लिए साधन है, साध्य तो भारत को हिंदूराष्ट्र बनाना ही है और भागवत नहीं चाहते कि संघ के स्वयंसेवक चुनावी शोर में इस लक्ष्य को भूल जाएं।