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नवगछिया में फिर से धधकने लगी जमीन की ज्वाला, शुरू होने लगा हत्या का सिलसिला


नवगछिया पुलिस जिला में जमीन की ज्वाला हर वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी फिर से धधकने लगी है। जिससे बचाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने नवगछिया को वर्ष 1992 में पुलिस जिला बनाया था। उस समय भी इसी जमीन की ज्वाला में पाँच यादवों की हत्या भवनपुरा गाँव में हुई थी। इससे पहले भी लगातार कई हत्याएं लगातार होती रही हैं। जिनके पीछे सिर्फ और सिर्फ जमीन की ज्वाला ही थी। जहां कभी कलाई की फसल, तो कभी मक्का की फसल, तो कभी जमीन पर जलकर का विवाद । ये बनते हैं हत्या के कारण।  नवगछिया की भौगोलिक बनावट विषम होने के कारण अपराध पर लगाम लगाने के लिए ही नवगछिया को पुलिस जिला बनाया गया था। लेकिन आज भी यह समस्या जस की तस बनी हुई है। जहां नदी थाना का प्रस्ताव भी आधार में लटका पड़ा है। इस पुलिस जिला में नहीं है घुससवार दस्ता और एसटीएफ़ की पलाटून । कई थानों में तो वाहन का भी है अभाव। साथ ही है पुलिस कर्मी तथा अधिकारियों की भी है किल्लत। जिसे अपराधी भी बखूबी जान रहे हैं। ऐसे में कैसे लगेगी अपराध पर लगाम। 
समय के बदलाव के साथ-साथ नवगछिया में संगठित अपराध की सरजमीं हर बार की तरह एक बार फिर से पूरी तरह तैयार हो गयी है. बिल्कुल ताजा हालात के तहत गुटीय हिंसा में मारे गये हरियौ के गैंगेस्टर मनोज सिंह की हत्या के बाद नारायणपुर के रंजीत यादव की हत्या दूसरी कड.ी मानी जा रही है. कोसी दियारा की सबसे बड.ी शक्ति के रुप में जब जिला पार्षद निरंजन सिंह की हत्या कर दी गयी थी तो माना जा रहा था कि किसी दूसरी शक्ति का उदय होगा, लेकिन निरंजन की हत्या के बाद उसकी हत्या में आरोपित गिरीश सिंह ने गिरोह की कमान संभाली और वह भी गिरोह के फूट का शिकार हुआ और मारा गया. गैंगेस्टर मनोज सिंह गिरोह की कमान संभाल रहा था. मनोज की लगातार घटती ताकत और आपराधिक कार्यकुशलता के अभाव में दियारा के एक किसान सर्मथित गिरोह की नजर मनोज पड. गयी. मनोज के ग्रामीण प्रतिद्वंदियों से मिल कर इस गिरोह ने मनोज को मार कर उसके हथियार पर कब्जा जमा लिया. मुठभेड. में की गयी मनोज की हत्या के बाद ही बौका चौधरी का गिरोह अस्तित्व में आया. गैंगेस्टर मनोज हत्याकांड में पुलिस अनुसंधान में बौका चौधरी को नामजद भी किया गया है. मनोज की हत्या के बाद बौका चौधरी गिरोह ने दियारा इलाके में अपने क्षेत्र के विस्तारीकरण में जुट गया. 
दियारा के सभी गिरोह का मकसद कलाई की फसल पर कब्जा व जलकर पर शिकारमाही को संचालित कराना है. नारायणपुर से लेकर बिहपुर त्रिमुहान दियारा में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति थी. एक तरफ बैनाडीह व सीमावर्ती आस पास के बहियार में ध्रुवा यादव और शबना यादव जमीन कब्जा जमाने के लिए संघर्ष कर रहा है, तो दूसरी तरफ से एक छोटे से भू भाग पर रंजीत मंडल अपने छोटे लेकिन एक मजबूत गिरोह का संचालन कर रहा था तो त्रिमुहान की ओर मड.वा जयरामपुर बहियार में बौका चौधरी की गिरोह का चलती थी. मनोज की हत्या के बाद ही रंजीत यादव ने बौका गिरोह से सांठ गांठ की थी. पुलिस स्तर से मिली जानकारी के अनुसार मरने वाला और मारने वाला बौका गिरोह का ही है. हत्या के स्पष्ट कारणों का पता अब तक नहीं चल पाया है. रंजीत यादव के पास दो राइफल था, जिसे लूटने के लिए बिजली चौधरी और अन्य ने रंजीत की हत्या कर दी. कहा जा रहा है कि रंजीत की बौका गिरोह से सांठ गांठ करना ही उसकी हत्या का कारण बना.
रंजीत की हत्या की सूचना मिलने पर बिहपुर थानाध्यक्ष प्रमोद पोद्दार दल-बल के साथ, एसपी शेखर कुमार, डीएसपी रामाशंकर राय व खरीक थानाध्यक्ष राकेश कुमार व भवानीपुर थानाध्यक्ष मिथिलेश सिन्हा भी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे. पुलिस ने घटना स्थल से एक देसी पिस्तौल, एक जिन्दा गोली, एक खोखा, एक टीवीएस विक्टर मोटरसाइकिल नंबर बीआर 1 एक्स 9604, एक लगाम एवं चाबुक व राइफल का टूटा हुआ बट बरामद किया. इस गोलीकांड में मारे गये रंजीत का भाई मंटू यादव ने पुलिस को बताया कि उसका भाई रंजीत साढ.ू के बेटे टिंकू के साथ घोड.ी से अपने ससुराल बसथा (चौसा थाना) के लिए चला था. इसी दौरान तीन मुहानी बहियार के कुताय यादव व टुल्ली चौधरी के बासा के पास जयरामपुर के बिजला कुंवर अपने गिरोह के साथ हमला कर रंजीत की हत्या कर दी. एसपी शेखर कुमार ने बताया कि मृत रंजीत का भी आपराधिक इतिहास रहा है. इस पर बिहपुर, नवगछिया व बेलदौर थाने में कई मामले दर्ज हैं. रंजीत मड.वा के बौका चौधरी गिरोह का सदस्य था. कुछ दिन पूर्व मनिहारी (कटिहार) में पुलिस की गिरफ्तारी से बच कर दोनों भाग गये थे. एसपी ने कहा कि पुलिस जल्द ही इस घटना में शामिल अन्य अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजेगी.