सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पुलिस के लिए यह अनिवार्य होगा कि वह थाने में आने वाले हर संज्ञेय अपराध की प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करे।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सतशिवम की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने कहा कि यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी भी संज्ञेय अपराध की प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने में असफल पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पीठ ने कहा कि पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज करने से नहीं बच सकते और यदि एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो उनके खिलाफ अवश्य कार्रवाई होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि अन्य मामलों में यह पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच की जा सकती है कि वह संज्ञेय अपराध है या नहीं और इस प्रकार की जांच सात दिन के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।
पीठ ने कहा कि कानून में कोई अस्पष्टता नहीं है और कानून की मंशा संज्ञेय अपराधों में अनिवार्य एफआईआर पंजीकरण की है। संवैधानिक पीठ ने तीन जजों की पीठ द्वारा मामले को वहतर पीठ के पास भेजे जाने के बाद यह फैसला दिया गया। तीन जजों की पीठ ने इस आधार पर मामले को वृहतर पीठ के पास भेजा था कि इस मुद्दे पर विरोधाभासी फैसले हैं।