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बिहार में बाढ़, सैकड़ों गांव प्रभावित

बिहार में पिछले 24 घंटे के दौरान 100 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं, जिससे लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। कई नदियों का बढ़ा हुआ जलस्तर अन्य गांवों के लिए भी खतरा बन गया है। यह जानकारी गुरुवार को
अधिकारियों ने पटना में दी। सभी जलप्लवित गांव बाढ़ प्रभावित पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मुजफ्फरपुर और कटिहार जिले के अंतर्गत स्थित हैं।
राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "पूर्णिया के अमौर प्रखंड, अररिया के फारबिसगंज व सिक्ती और किशनगंज के कोचाधामन  में सौ से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। मुजफ्फरपुर के औराई और कटरा प्रखंड के दर्जनों गांव जलप्लवित हो गए हैं।" 
विभाग के अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि राज्य एवं नेपाल के जलग्रहण इलाके में भारी बारिश से कई नदियों के जलस्तर बढ़ जाने से बिहार में एक बार फिर बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है  उन्होंने बताया, "महानंदा, बागमती, कमला बलान, गंडक, बूढ़ी गंडक और कोसी नदियों में बीते दो दिनों से जल स्तर बढ़ रहा है जिससे दर्जनों जिले के सैंकड़ों गांव के लिए खतरा पैदा हो गया है।" 
अपुष्ट खबरों के मुताबिक बाढ़ के पानी में तीन स्कूली छात्रा सहित आठ लोग डूब गए हैं। बिहार सरकार ने इंजीनियरों को सतर्कता बरतते हुए इलाके का 24 घंटे तक चौकसी करने के निर्देश दिए हैं। जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता (उत्तर) राजेश्वर दयाल ने कहा, "बांध की सुरक्षा और किसी भी हालत का सामना करने के लिए सभी इंजीनियरों को सभी जरूरी उपकरणों व शिलाखंडों के साथ तैयार रहने को कहा गया है।" इस बीच, बिहार के जल संसाधन विभाग के मंत्री विजय कुमार का कहना है कि सभी बांध सुरक्षित हैं और घबराने की जरूरत नहीं है।

उन्होंने कहा कि पूर्वी कोसी बांध पूरी तरफ सुरक्षित है। 2008 में इसमें दरार आ जाने से उत्तरी बिहार के पांच जिले बाढ़ की चपेट में आ गए थे। उन्होंने कहा, "बांध को मजबूत किया गया है और दरारों की मरम्मती का काम भी पूरा हो गया है।" 2008 में नेपाल में कोसी नदी के मार्ग बदल लेने की वजह से बिहार के 30 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए थे। यह पिछले 50 सालों में बिहार में आया अब तक का सबसे भीषण बाढ़ बताया जाता है।