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उत्‍तराखंड : लाशों पर बह रहा पानी पीकर गुजारे चार दिन

देवभूमि में तांडव को 8 दिन हो गए। पूरी केदारघाटी अभी भी लाशों से पटी पड़ी है। दृश्य ठीक वैसा, जैसा परमाणु हमले के बाद हिरोशिमा था। तवाघाट, गौरीगांव हो या मुंडकटिया, चंद्रापुरी...। पहाड़ों, खाइयों, नदियों में लाशें ही लाशें। 8 दिन से पेड़ों की पत्तियां, कीचड़भरा पानी पीकर जैसे-तैसे जी रहे 19 हजार लोग अभी भी लाशों के बीच पहाड़ों में फंसे हैं। रविवार को करीब 2200 लोगों को बचाया गया। राहत दल कह रहा है-हम अभी जिंदा लोगों को बचा रहे हैं। शवों की बाद में सोचेंगे। उत्तराखंड के मुख्य सचिव का कहना है कि जिन लोगों की मौत केदारनाथ में हुई है, उनका दाह संस्कार सोमवार को केदारनाथ घाटी में ही किया जाएगा।
 उत्‍तराखंड में आई तबाही में मरने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है। सूबे के आपदा मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि प्रलय में पांच हजार लोगों की मौत हुई है। साथ ही जो लोग फंसे हुए हैं, उनका बचना भी मुश्किल है क्योंकि सोमवार से तेज बारिश के आसार हैं। लेकिन सेना ने कहा है कि मौसम कितना ही क्यों न बिगड़ जाए, आखिरी आदमी को बचाने तक हमारा अभियान नहीं रुकेगा। जहां-तहां बिखरी लाशों के बीच 8 दिन से भूख-प्यास से बेहाल कोई 19 हजार लोग एक-एक सांस के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस बीच केदारघाटी में महामारी की आशंका जताई जाने लगी है। 
 आपदा में फंसे लोगों की आपबीती रोंगटे खड़े कर देने वाली है। इंदौर का सिसोदिया परिवार और उनके ग्रुप के अन्‍य सदस्‍य भी इस तबाही में फंसे थे। रविवार को इंदौर रेलवे स्‍टेशन पर पहुंचे इन लोगों ने अपनी कहानी बयां की। ये लोग केदारनाथ में एक धर्मशाला में चार दिनों तक फंसे रहे। वहां खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं था। इन्‍हें मजबूरी में लाशों के ऊपर से बह रहा पानी पीकर समय गुजारना पड़ा। स्‍थानीय प्रशासन की तरफ से सुध लेने कोई नहीं आया। आखिरकार, इन्‍हें प्राइवेट हेलिकॉप्‍टर के जरिये वहां से देहरादून लाया गया। इस दौरान इस ग्रुप में शामिल दो बच्‍चे मर भी गए। राजल सिसोदिया कहती हैं, 'हमने देखा कि कुछ लोग लाशों से गहने, रुपये लूट रहे हैं। चारों तरफ अफरातफरी का माहौल था। वहां का मंजर बेहद भयावह था।'