बेहिसाब मौतों की आशंका और हजारों पीड़ितों की सिसकियों के बीच
शुक्रवार को उत्तराखंड के आपदाग्रस्त इलाकों में बचाव कार्य युद्धस्तर पर
जारी रहा। रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी में फंसे हजारों लोग सुरक्षित
बाहर निकाले गए।
मौत के मुंह से निकलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के बाद हर किसी ने बस यही कहा कि अगर सेना के जवान नहीं होते तो शायद उनकी जिंदगी नहीं बच पाती। लोगों के लिए सेना, वायुसेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ के जवान यहां देवदूत बनकर उतरे हैं।
लगभग 12 हजार जवानों ने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाने में पूरी ताकत झोंक दी है। ये जवान अब तक के सबसे बड़े राहत व बचाव अभियान को अंजाम देने में जुटे हुए हैं।
इनके लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इस ऑपरेशन के लिए उनके पास सिर्फ 48 घंटे का वक्त है, क्योंकि इसके बाद मौसम खराब होने की आशंका है।
इस बीच, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने त्रासदी में 556 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। सीएम ने मरने वालों की संख्या में इजाफे से इंकार नहीं किया है।
आपदा प्रभावित 40 हजार वर्ग किमी. क्षेत्र से केवल सेना ने शुक्रवार को छह हजार लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। सेना के मुताबिक अब भी करीब 20 हजार लोग फंसे हुए हैं। इन्हें शनिवार को निकालने की कोशिश होगी।
सेना ने केदारघाटी में स्पेशल फोर्स के 200 जवानों को भी उतारा है। ये जवान अपनी जान पर खेलकर लोगों को बचाने में जुटे हुए हैं। शुक्रवार को राहत और बचाव कार्य में आर्मी-एयरफोर्स के 55 हेलीकॉप्टर लगे रहे। ये हेलीकॉप्टर शनिवार को भी अभियान में जुटे रहेंगे। उधर, वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने गोचर, धरासू, पिथौरागढ़ और गुप्तकाशी से उड़ान भरी और 1252 लोगों को बचाया। वायुसेना ने गौरीकुंड के नजदीक जंगल चौकी पर हैलीपेड बनाया है।
एयर मार्शल देव ने बताया कि इस ऑपरेशन में दुनिया का सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर एमआई-26 को भी लगाया गया है। यह हेलीकॉप्टर छोटे हेलीकॉप्टरों के लिए ईंधन ढोने का काम कर रहा है।
अत्याधुनिक विमान सी 130जे भी राहत कार्य में जुटा है। नौ सेना की दो टीमें भी लोगों को बचाने के लिए लगाई गई हैं। इसके साथ ही आर्मी और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने कई जगह सड़क निर्माण कर लिया है।
सोनप्रयाग-गौरीकुड लिंक मार्ग खुल गया है। शुक्रवार को पिथौरागढ़ में कई जगह मेडिकल कैंप लगाए गए। शुक्रवार को कुछ डॉक्टर भी केदारनाथ पैदल मार्ग पर गरुड़चट्टी और गौरीकुंड में हेलीकॉप्टर से उतारे गए।
आईटीबीपी के लगभग एक हजार जवान गोचर जोशीमठ में लगे हुए हैं, जबकि दो बटालियन उत्तरकाशी में तैनात है।
उत्तरकाशी पहुंचने का सिलसिला जारी
पांच दिनों तक गंगोत्री मार्ग पर फंसे भूखे-प्यासे यात्रियों के भी उत्तरकाशी पहुंचने का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को विभिन्न पड़ावों से दो हजार से अधिक यात्री पहुंचे।
हर्षिल, भटवाड़ी और मनेरी में फंसे 194 यात्रियों को हेलीकॉप्टर से निकाला गया। प्रशासन का कहना है कि उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच करीब 1500 यात्री अभी भी फंसे हैं। हालांकि यह आंकड़ा 4000 से अधिक बताया जा रहा है।
चमोली जिले में बदरीनाथ और घांघरिया से जोशीमठ पहुंचाए गए करीब तीन हजार तीर्थयात्रियों को शुक्रवार को कर्णप्रयाग पहुंचाया गया। यहां से सैकड़ों वाहनों में तीर्थयात्रियों को उनके गंतव्य भेजने की व्यवस्था की गई।
इसके अलावा घांघरिया, पांडुकेश्वर, पुलना, गोविंदघाट में बेहद मुश्किल हालात में फंसे 700 लोगों को सेना ने जोशीमठ पहुंचाया। सेना के मुताबिक घांघरिया से फंसे बाकी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा।
फंसे लोगों को खोज पाना मुश्किल
बचाव कार्य की अगुवाई कर रहे मध्य कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैत ने सभी प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। दोपहर बाद देहरादून पहुंचे जनरल चैत ने बताया कि स्थिति अब भी बेहद खराब है।
कई क्षेत्रों में फंसे लोगों को खोज पाना अब सबसे बड़ी परेशानी बन गई है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच पुल बना लिया है। इसे शनिवार को चालू कर दिया जाएगा।
गणेशचट्टी में हेलीपैड का निर्माण कर लिया है। सेना के 12 हैलीकाप्टर आपरेशन में जुटे हैं। हर्षिल, घाघरिया, गुप्तकाशी-फाटा में वैकल्पिक मार्ग बना दिए गए हैं।
केदारघाटी में बिना रुके चलाएंगे अभियान
सेना ने अपनी पैरा रेजिमेंटों के 200 पैरा कमांडों लगभग 100 स्थानों पर उतारे हैं। आधुनिक उपकरणों से लैस स्पेशल फोर्स के सैनिक सात दिन तक बिना रुके तलाश एवं बचाव अभियान चलाएंगे।
केदारघाटी में उतारे पैरा कमांडों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। आर्मी हेलीकाप्टर ने रस्सी की मदद से स्पेशल फोर्स को गौरीकुंड और रामबाड़ा के बीच एक नाले में उतारा। इस नाले में 16 लोग फंसे हुए थे, जिसमें दो बीमार थे। बीमारों को गौरीकुंड से एयरलिफ्ट कर देहरादून लाया गया।
आर्मी कमांडर को आशंका है कि केदारघाटी में कई जगह लोग छोटे-छोटे समूहों में लोग फंसे हुए हैं। स्पेशल फोर्स के जिम्मे घाटियों में फंसे लोगों को तलाश कर उन्हें एयर लिफ्ट कर निकालने का रहेगा।
कहां, कितने यात्री फंसे(सेना के मुताबिक)
रुद्रप्रयाग
गौरीकुंड---1000
रामबाड़ा---50
गणेशचट्टी---300
उत्तरकाशी
गंगोत्री---500
भटवाड़ी---12
हर्षिल---1000
चमोली
बदरीनाथ---8000
पांडुकेश्वर---300
गोविंदघाट---100
घंघारिया---1200
कुमाऊं
पिंडारी ग्लेशियर---50
बाहर निकाले गए।
मौत के मुंह से निकलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के बाद हर किसी ने बस यही कहा कि अगर सेना के जवान नहीं होते तो शायद उनकी जिंदगी नहीं बच पाती। लोगों के लिए सेना, वायुसेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ के जवान यहां देवदूत बनकर उतरे हैं।
लगभग 12 हजार जवानों ने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाने में पूरी ताकत झोंक दी है। ये जवान अब तक के सबसे बड़े राहत व बचाव अभियान को अंजाम देने में जुटे हुए हैं।
इनके लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इस ऑपरेशन के लिए उनके पास सिर्फ 48 घंटे का वक्त है, क्योंकि इसके बाद मौसम खराब होने की आशंका है।
इस बीच, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने त्रासदी में 556 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। सीएम ने मरने वालों की संख्या में इजाफे से इंकार नहीं किया है।
आपदा प्रभावित 40 हजार वर्ग किमी. क्षेत्र से केवल सेना ने शुक्रवार को छह हजार लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। सेना के मुताबिक अब भी करीब 20 हजार लोग फंसे हुए हैं। इन्हें शनिवार को निकालने की कोशिश होगी।
सेना ने केदारघाटी में स्पेशल फोर्स के 200 जवानों को भी उतारा है। ये जवान अपनी जान पर खेलकर लोगों को बचाने में जुटे हुए हैं। शुक्रवार को राहत और बचाव कार्य में आर्मी-एयरफोर्स के 55 हेलीकॉप्टर लगे रहे। ये हेलीकॉप्टर शनिवार को भी अभियान में जुटे रहेंगे। उधर, वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने गोचर, धरासू, पिथौरागढ़ और गुप्तकाशी से उड़ान भरी और 1252 लोगों को बचाया। वायुसेना ने गौरीकुंड के नजदीक जंगल चौकी पर हैलीपेड बनाया है।
एयर मार्शल देव ने बताया कि इस ऑपरेशन में दुनिया का सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर एमआई-26 को भी लगाया गया है। यह हेलीकॉप्टर छोटे हेलीकॉप्टरों के लिए ईंधन ढोने का काम कर रहा है।
अत्याधुनिक विमान सी 130जे भी राहत कार्य में जुटा है। नौ सेना की दो टीमें भी लोगों को बचाने के लिए लगाई गई हैं। इसके साथ ही आर्मी और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने कई जगह सड़क निर्माण कर लिया है।
सोनप्रयाग-गौरीकुड लिंक मार्ग खुल गया है। शुक्रवार को पिथौरागढ़ में कई जगह मेडिकल कैंप लगाए गए। शुक्रवार को कुछ डॉक्टर भी केदारनाथ पैदल मार्ग पर गरुड़चट्टी और गौरीकुंड में हेलीकॉप्टर से उतारे गए।
आईटीबीपी के लगभग एक हजार जवान गोचर जोशीमठ में लगे हुए हैं, जबकि दो बटालियन उत्तरकाशी में तैनात है।
उत्तरकाशी पहुंचने का सिलसिला जारी
पांच दिनों तक गंगोत्री मार्ग पर फंसे भूखे-प्यासे यात्रियों के भी उत्तरकाशी पहुंचने का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को विभिन्न पड़ावों से दो हजार से अधिक यात्री पहुंचे।
हर्षिल, भटवाड़ी और मनेरी में फंसे 194 यात्रियों को हेलीकॉप्टर से निकाला गया। प्रशासन का कहना है कि उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच करीब 1500 यात्री अभी भी फंसे हैं। हालांकि यह आंकड़ा 4000 से अधिक बताया जा रहा है।
चमोली जिले में बदरीनाथ और घांघरिया से जोशीमठ पहुंचाए गए करीब तीन हजार तीर्थयात्रियों को शुक्रवार को कर्णप्रयाग पहुंचाया गया। यहां से सैकड़ों वाहनों में तीर्थयात्रियों को उनके गंतव्य भेजने की व्यवस्था की गई।
इसके अलावा घांघरिया, पांडुकेश्वर, पुलना, गोविंदघाट में बेहद मुश्किल हालात में फंसे 700 लोगों को सेना ने जोशीमठ पहुंचाया। सेना के मुताबिक घांघरिया से फंसे बाकी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा।
फंसे लोगों को खोज पाना मुश्किल
बचाव कार्य की अगुवाई कर रहे मध्य कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैत ने सभी प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। दोपहर बाद देहरादून पहुंचे जनरल चैत ने बताया कि स्थिति अब भी बेहद खराब है।
कई क्षेत्रों में फंसे लोगों को खोज पाना अब सबसे बड़ी परेशानी बन गई है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच पुल बना लिया है। इसे शनिवार को चालू कर दिया जाएगा।
गणेशचट्टी में हेलीपैड का निर्माण कर लिया है। सेना के 12 हैलीकाप्टर आपरेशन में जुटे हैं। हर्षिल, घाघरिया, गुप्तकाशी-फाटा में वैकल्पिक मार्ग बना दिए गए हैं।
केदारघाटी में बिना रुके चलाएंगे अभियान
सेना ने अपनी पैरा रेजिमेंटों के 200 पैरा कमांडों लगभग 100 स्थानों पर उतारे हैं। आधुनिक उपकरणों से लैस स्पेशल फोर्स के सैनिक सात दिन तक बिना रुके तलाश एवं बचाव अभियान चलाएंगे।
केदारघाटी में उतारे पैरा कमांडों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। आर्मी हेलीकाप्टर ने रस्सी की मदद से स्पेशल फोर्स को गौरीकुंड और रामबाड़ा के बीच एक नाले में उतारा। इस नाले में 16 लोग फंसे हुए थे, जिसमें दो बीमार थे। बीमारों को गौरीकुंड से एयरलिफ्ट कर देहरादून लाया गया।
आर्मी कमांडर को आशंका है कि केदारघाटी में कई जगह लोग छोटे-छोटे समूहों में लोग फंसे हुए हैं। स्पेशल फोर्स के जिम्मे घाटियों में फंसे लोगों को तलाश कर उन्हें एयर लिफ्ट कर निकालने का रहेगा।
कहां, कितने यात्री फंसे(सेना के मुताबिक)
रुद्रप्रयाग
गौरीकुंड---1000
रामबाड़ा---50
गणेशचट्टी---300
उत्तरकाशी
गंगोत्री---500
भटवाड़ी---12
हर्षिल---1000
चमोली
बदरीनाथ---8000
पांडुकेश्वर---300
गोविंदघाट---100
घंघारिया---1200
कुमाऊं
पिंडारी ग्लेशियर---50