छत्तीसगढ़ में शनिवार को कांग्रेस पार्टी के काफिले पर हुआ नक्सली हमला
इतना जबरदस्त था कि काफिले में मौजूद सुरक्षा गार्ड एकदम असहाय दिखे।
हालांकि, वे जितना लड़ सकते थे, बहादुरी से उतना लड़े।
वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल का सुरक्षा गार्ड भी आखिरी दम तक बहादुरी से लड़ता रहा और जब उसकी गोली खत्म हो गई तो उसने शुक्ल का पैर छूकर माफी मांगी और अंतिम गोली खुद को मार ली।
शुक्ल की सुरक्षा में तैनात गार्ड ने उन्हें नक्सलियों से बचाने के लिए जान लड़ा दी। लेकिन थोड़ी ही देर में उसकी गोलियां खत्म हो गई। जब उसने देखा कि उसके पास अंतिम गोली बची है और अब वह अपना फर्ज निभाने के लिए और कुछ नहीं कर सकता तो विद्याचरण शुक्ल से उनकी सुरक्षा नहीं कर पाने कि लिए पैर छूकर माफी मांगी और अपने पास बची आखिरी गोली खुद को मार ली। अब तक नक्सलियों की गोली से शुक्ल घायल हो चुके थे। बाकी नेताओं की सुरक्षा में तैनात जवानों ने भी नक्सलियों से लोहा लेते हुए जवाबी फायरिंग की, लेकिन नक्सलियों की संख्या, उनकी तैयारी और भारी मात्रा में हथियार के मुकाबले वे उनपर काबू नहीं कर सके।
वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल का सुरक्षा गार्ड भी आखिरी दम तक बहादुरी से लड़ता रहा और जब उसकी गोली खत्म हो गई तो उसने शुक्ल का पैर छूकर माफी मांगी और अंतिम गोली खुद को मार ली।
शुक्ल की सुरक्षा में तैनात गार्ड ने उन्हें नक्सलियों से बचाने के लिए जान लड़ा दी। लेकिन थोड़ी ही देर में उसकी गोलियां खत्म हो गई। जब उसने देखा कि उसके पास अंतिम गोली बची है और अब वह अपना फर्ज निभाने के लिए और कुछ नहीं कर सकता तो विद्याचरण शुक्ल से उनकी सुरक्षा नहीं कर पाने कि लिए पैर छूकर माफी मांगी और अपने पास बची आखिरी गोली खुद को मार ली। अब तक नक्सलियों की गोली से शुक्ल घायल हो चुके थे। बाकी नेताओं की सुरक्षा में तैनात जवानों ने भी नक्सलियों से लोहा लेते हुए जवाबी फायरिंग की, लेकिन नक्सलियों की संख्या, उनकी तैयारी और भारी मात्रा में हथियार के मुकाबले वे उनपर काबू नहीं कर सके।