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मतदान करेंगे तो दिखेगा भी कि किसे पड़ा वोट

मतदान की व्यवस्था में निर्वाचन आयोग परिवर्तन करने जा रहा है। वोट डालने के साथ मतदाता यह देखकर संतुष्ट भी हो लेगा कि जिसे वोट डाला उसी के खाते में गया। इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के माध्यम से
अगले लोकसभा चुनाव में इसे पूरे देश में लागू करने की तैयारी है।

बटन दबने के साथ दिखेगी पर्ची : 
वोटिंग मशीन में पसंदीदा उम्मीदवार को मतदान के लिए बटन दबाते ही पीं.. की आवाज के साथ मतदान से संबंधित प्रिंट भी नजर के सामने से गुजरेगा और बक्से में चला जाएगा। उसे वोटर ले नहीं सकेगा। मतदान की गोपनीयता के कारण यह व्यवस्था रहेगी। इससे स्पष्ट होगा कि आपने जिसके नाम के आगे का बटन दबाया है वोट उसी उम्मीदवार के खाते में गया है। अभी मतदान का एहसास तो होता है मगर यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि वास्तव में जिसे उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाला गया उसे ही मिला।
शिकायत के बाद सुधार : 
वोटिंग मशीन को लेकर अनेक राजनेताओं की शिकायतें रहती थीं कि वोटिंग मशीन में सेटिंग है। ..बूथ पर वोटिंग मशीन में वोट किसी को डाला गया मगर वोट किसी और के खाते में गया। चुनाव आयोग तक बात पहुंची। इस शंका को दूर करने के लिए चुनाव आयोग दो साल से कवायद कर रहा था। अब परीक्षण के बाद फूल-प्रूफ मशीन की व्यवस्था हो गई है। मशीन में ही उपकरण लगा होगा जिसमें प्रिंट की व्यवस्था रहेगी। वीवी पैट सिस्टम (वोटर वेरिफिएबुल पेपर आडिट ट्रायल सिस्टम) इसका नाम है जो ईवीएम के साथ जुड़ा रहेगा। 23 जून को मंडी (हिमाचल) में हो रहे संसदीय उप चुनाव में ही पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसका ट्रायल लिया जाना था मगर अंतिम निर्णय के अभाव में उपयोग की उम्मीद नहीं है। इसके इस्तेमाल के लिए नई वोटिंग मशीन खरीदनी होगी। साथ ही चुनाव संबंधी रूल्स में संशोधन करने होंगे। संशोधन का प्रस्ताव विधि मंत्रालय को भेज दिया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत ट्रायल के लिए मशीन बनाने वाली कंपनियों बेल और ईसीआइएल को आदेश दिया जा चुका है। लोकसभा चुनाव के पूर्व चार-पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। उम्मीद की जा रही है कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत उसमें इसका इस्तेमाल हो सकेगा। आयोग दो-ढाई साल से इस सिस्टम को डेवलप करने पर काम कर रहा था। आयोग की एक्सपर्ट कमेटी के निर्देश पर ईवीएम बनाने वाली कंपनी भारत इलेक्ट्रानिक्स लि. तथा इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन आफ इंडिया लि. ने इसका प्रारूप तैयार किया। आयोग की तकनीकी एक्सपर्ट कमेटी ने इसका परीक्षा किया। दो बार इलाकों में परीक्षण किया गया, नतीजे देखे गए। सिस्टम में और सुधार किया गया। अंतत: इसी साल फरवरी में इसे अंतिम रूप दे दिया गया।