जिस समय महाकुंभ के यात्रियों के साथ इलाहाबाद स्टेशन पर ये हादसा हुआ, उस समय मुख्यमंत्री अखिलेश इटावा में अपने रिश्तेदार की शादी समारोह में मसरूफ थे। राज्यपाल को हादसे का ब्यौरा देने के लिए वो लखनऊ तब पहुंचे, जब राज्यपाल ने उन्हें तलब किया।
दरअसल
देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री होने के
बाद क्या उनके परिवार का
दायरा सिर्फ सैफई तक ही सीमित है, क्या शादी के इंतजाम की देखरेख करना,
मेहमानों की आवभगत करना ही उनकी अकेली जिम्मेदारी है। ये सवाल तीखे भले
हों। लेकिन राज्य के दर्जन भर मंत्री और बड़े अफसर शादी और उसके बाद की
तैयारियों में जुटे रहे। इन लोगों को फिक्र सैफई के इंतजाम की थी, ऐसे में
इलाहाबाद में तीन दर्जन लोगों की मौत की परवाह कौन करे। यूपी सरकार के लिए
तो इलाहाबाद में हुआ हादसा सिर्फ एक संयोग है।
आखिर
सवाल घर में जश्न की व्यवस्था का है। इसलिए सारे इंतजामों से फुर्सत मिलने
के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मीडिया से बात करने का मौका मिला,
उन्होंने जांच की बात की, मुआवजे की बात की और फिर अपने काम में जुट गए। जब
ये अहम काम खत्म हुआ तो अखिलेश ने सैफई से राजधानी लखनऊ के लिए उड़ान भरी,
सीधे राज्यपाल से मिलने पहुंचे। इलाहाबाद हादसे के बारे में राज्यपाल को
भी उनसे सवाल-जवाब करना था। राज्यपाल से मिलने के बाद अखिलेश बाहर आए तो
मीडिया के लिए नसीहतों की झड़ी लगा दी।