बिहार में दिमागी बुखार का कहर घटने की बजाय और बढ़ गया है। बच्चों की मौत का आंकड़ा 114 पहुंच चुका है। जबकि गैर सरकारी आंकड़ा 126 से भी ज्यादा है।बीमारी का कहर सबसे ज्यादा मुजफ्फरपुर में है, जहां के सिर्फ दो अस्पतालों केजरीवाल और एसकेएमसीएच में ही 62 बच्चों की जान इस अनजान दिमागी बुखार ने ले ली है। जबकी गया जिले के मगध मेडिकल कॉलेज में 10 बच्चों की मौत हो चुकी है तो वहीं पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल में मौत का आंकड़ा 42 पहुंच गया है।
ज्यादातर गरीब और कमजोर बच्चों को ये बीमारी अपना शिकार बनाती है। गर्दन के ऊपर अचानक तेज बुखार होता है और एक दो दिन में ही बच्चों की हालत खराब हो जाती है। अगर वक्त पर अस्पताल लाए गए तो जान बचने की कुछ उम्मीद भी रहती है।
वहीं डॉक्टर और राज्य सरकार भी ये मान रहे हैं कि इस बीमारी का अबतक ठीक से पता नहीं चल सका है। यही नहीं इस बीमारी से मरने वाले बच्चों की मौत का आंकड़ा इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि ये बीमारी ज्यादातर गरीब और कमजोर बच्चों को अपना शिकार बना रही हैं जो दिन में धूप में खेलते हैं, गंदगी के बीच रहते हैं। बीमारी के शुरुआती लक्षण आम बुखार जैसे होते हैं। डॉक्टरों की परेशानी ये कि बीमारी का पता नहीं चल सका है लिहाजा क्या दवा असर करेगी इसको लेकर पसोपेश में हैं।
चूंकि इसके लक्षण एंसेफिलाइटिस से मिलते हैं लिहाजा फिलहाल इलाज उससे ही मिलता जुलता माना जा रहा है।