अभी तक पैसे निकालने और कुछ सेवाओं के बिल भरने के लिए ही एटीएम का प्रयोग हो रहा था।
लेकिन अब एटीएम से खाना भी मिल सकेगा। एटीएम जैसी अनूठी मशीनें जल्द ही देश के चुनिंदा शहरों में भी इंस्टॉल होने वाली हैं। आने वाले दिनों में आप जब जो खाना चाहेंगे, मिल जाएगा। वह भी एटीएम से। यह सपना नहीं हकीकत है। लॉस एंजिलिस और कनाडा के लोग फिलहाल इस अनूठी टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे हैं। वहां लोगों की व्यस्त दिनचर्या को देखते हुए ऐसे एटीएम रखे गए हैं, जिनमें कूपन डालकर कोई भी अपनी पसंदीदा डिश किसी भी समय खा सकता है। कूपन निकालने के लिए भी ज्यादा झंझट नहीं करनी होती है, बस पैसे डालो और पल भर में कूपन बाहर आ जाता है। साफ-सफाई और वैरायटीइसमें दोराय नहीं है कि झटपट खाना उपलब्ध कराने का यह बेहतरीन विचार है। लेकिन ऐसे में कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं। मसलन एटीएम मशीन सरीखी मशीन से उपलब्ध खाद्य पदार्थ साफ-सफाई के लिहाज से गुणवत्ता पर खरे उतरेंगे भी या नहीं? इसके साथ ही यह प्रश्न भी उठ रहा है कि भारतीय लोगों में खान-पान की अलग-अलग रुचि को देखते हुए एक मशीन में कितने तरह के व्यंजन जुटाए जा सकेंगे। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विचार या यूं कहें कि टेक्नोलॉजी तभी सफल हो सकेगी, जब इसमें स्वच्छ और ताजे खाद्य पदार्थ या व्यंजन उपलब्ध हों। हालांकि इतना तय है कि उपलब्ध व्यंजनों की संख्या सीमित ही रहेगी। विशेषकर करी वाले व्यंजन इसमें शायद ही मिल सकें। ऐसे में यह लोगों की पसंद पर कितना खरा उतरेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
लेकिन अब एटीएम से खाना भी मिल सकेगा। एटीएम जैसी अनूठी मशीनें जल्द ही देश के चुनिंदा शहरों में भी इंस्टॉल होने वाली हैं। आने वाले दिनों में आप जब जो खाना चाहेंगे, मिल जाएगा। वह भी एटीएम से। यह सपना नहीं हकीकत है। लॉस एंजिलिस और कनाडा के लोग फिलहाल इस अनूठी टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे हैं। वहां लोगों की व्यस्त दिनचर्या को देखते हुए ऐसे एटीएम रखे गए हैं, जिनमें कूपन डालकर कोई भी अपनी पसंदीदा डिश किसी भी समय खा सकता है। कूपन निकालने के लिए भी ज्यादा झंझट नहीं करनी होती है, बस पैसे डालो और पल भर में कूपन बाहर आ जाता है। साफ-सफाई और वैरायटीइसमें दोराय नहीं है कि झटपट खाना उपलब्ध कराने का यह बेहतरीन विचार है। लेकिन ऐसे में कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं। मसलन एटीएम मशीन सरीखी मशीन से उपलब्ध खाद्य पदार्थ साफ-सफाई के लिहाज से गुणवत्ता पर खरे उतरेंगे भी या नहीं? इसके साथ ही यह प्रश्न भी उठ रहा है कि भारतीय लोगों में खान-पान की अलग-अलग रुचि को देखते हुए एक मशीन में कितने तरह के व्यंजन जुटाए जा सकेंगे। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विचार या यूं कहें कि टेक्नोलॉजी तभी सफल हो सकेगी, जब इसमें स्वच्छ और ताजे खाद्य पदार्थ या व्यंजन उपलब्ध हों। हालांकि इतना तय है कि उपलब्ध व्यंजनों की संख्या सीमित ही रहेगी। विशेषकर करी वाले व्यंजन इसमें शायद ही मिल सकें। ऐसे में यह लोगों की पसंद पर कितना खरा उतरेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।