देश में बच्चों के अपहरण और उनके लापता होने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। संसद में बुधवार को बताया गया कि वर्ष 2008 से 2010 के दौरान देश में 28 हजार से अधिक बच्चों का अपहरण हुआ जबकि 1.84 लाख बच्चे इस अवधि के दौरान लापता हुए।
गृह राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक तीन वर्षों में बच्चों के अपहरण के 28,595 मामले सामने आए हैं।
वर्ष 2008 में जहां 7,862 बच्चों का अपहरण हुआ वहीं वर्ष 2009 में 9,436 और 2010 में ऐसे 11,297 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने बताया कि इसी अवधि में कुल 1,84, 605 बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट मिली। लापता बच्चों के बारे में गृह मंत्रालय ने 31 जनवरी 2012 को एक एडवाइजरी जारी की है जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को बाल तस्करी रोकने और बच्चों का पता लगाने के लिए जरूरी कदम उठाने की नसीहत दी गई है।
इनमें रिकॉर्ड्स को कंप्यूटरीकृत करना, डीएनए जांच, सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम चलाना आदि शामिल है। इससे पहले, 14 जुलाई 2010 को केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजी गई एडवाइजरी में स्कूलों, स्वास्थ्य संस्थानों, बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बच्चों के पार्क और मैदानों में सुरक्षा इंतजाम बेहतर बनाने के लिए सभी कदम उठाने को कहा गया था।