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स्थापना दिवस: उपहार में मिला था भागलपुर विश्वविद्यालय

भागलपुर : आज के ही दिन 1960 में भागलपुर और रांची विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति जस्टिस ब्रह्मदेव प्रसाद जमुआर और ट्रेजरर मुक्तेश्वर प्रसाद बनाये गये थे। बाद में
इस विश्वविद्यालय का नाम बदल कर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय कर दिया गया। जिसे देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने यहां के लोगों को उपहार के रूप में सौगात दी थी।
प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बड़े भाई महेंद्र प्रसाद की पोती शारदा की शादी भागलपुर के मुक्तेश्वर प्रसाद के पुत्र श्याम जी प्रसाद से हुई थी। मुक्तेश्वर प्रसाद के करीबी मित्र थे जस्टिस ब्रह्मदेव प्रसाद जमुआर। उन्होंने मजाक में राजेंद्र बाबू से उपहार मांग लिया था। प्रो. रमण सिन्हा के अनुसार राजेंद्र बाबू ने पूछा क्या चाहिए, इसपर जस्टिस साहब ने भागलपुर में एक विवि खोलने की मांग रख दी। इसके बाद राजेंद्र बाबू ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह से सलाह लेकर विवि खोलने की अनुमति दे दी। कुलपति बनने की जब बात हुई तो मुक्तेश्वर बाबू ने कहा कि जिसने विचार रखा है, उसे ही कुलपति बनाया जाए। जस्टिस जमुआर ने उनकी बात को मानते हुए शर्त रखी कि मुक्तेश्वर बाबू साथ सहयोग करेंगे तभी कुलपति का पद स्वीकार करेंगे। दोस्ती के नाते मुक्तेश्वर बाबू ने स्वीकृति दे दी और 12 जुलाई 1960 को भागलपुर विवि की स्थापना हुई। इसके बाद जस्टिस ब्रह्मदेव प्रसाद जमुआर भागलपुर विवि के प्रथम कुलपति बने। मुक्तेश्वर बाबू को ट्रेजरर बनाया गया।