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काला धन: भारत को स्विस बैंक से मिलेगा विस्तृत ब्योरा, आगे की कार्रवाई के लिये एसआईटी तैयार


विदेशों में रखे काले धन पर कार्रवाई करने के भारत के प्रयासों को आज मजबूती मिली. स्विट्जरलैंड सरकार ने ऐसे भारतीयों की सूची तैयार की है जिन पर शक है कि उन्होंने स्विस बैंकों में काला धन जमा किया हुआ है और इसका ब्योरा भारत सरकार के साथ साझा करने की बात कही है.        
इधर, काले धन पर भारत सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल ने कहा है कि अगर कोर्ठ गडबडी पायी जाती है तो कार्रवाई की जाएगी. स्विट्जरलैंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने प्रेट्र को बताया कि देश के विभिन्न बैंकों में रखे गए धन के वास्तविक लाभार्थियों के पहचान के लिए जारी एक सरकारी जांच में इन भारतीय व्यक्तियों व इकाइयों के नाम सामने आए हैं.      
उसने कहा कि ऐसे व्यक्तियों और इकाइयों की सूची भारत के साथ साझा की जा रही है और समय के साथ विस्तृत जानकारी भी उपलब्ध करायी जाएगी तथा सभी जरुरी प्रशासनिक सहायता भी दी जाएगी. इस बारे में काले धन पर गठित एसआईटी के प्रमुख न्यामूर्ति एम बी शाह ने कहा कि सूची की जांच की जाएगी और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जिनके बारे में यह पाया जाता है कि उन्होंने बिना कर चुकाये वहां धन रखा हुआ है.
स्विस अधिकारी इन लोगों या इकाइयों तथा उनके द्वारा जमा की गई रकम के बारे में नहीं बताया. अधिकारी ने गोपनीयता प्रावधान तथा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सूचना आदान प्रदान संधि का हवाला देते हुए ब्योरा देने से इनकार किया. अधिकारी के अनुसार संदेह है कि इन लोगों व इकाइयों ने न्यासों, डोमिसिलिएरी कंपनियों तथा भारत से बाहर अन्य गैरकानूनी इकाइयों के माध्यम से बिना कर चुकाया धन स्विस बैंकों में रखा है.
अधिकारी ने इन दावों को खारिज कर दिया कि स्विस बैंकों में जमा भारतीय धन हजारों अरब डालर है. स्विस नेशनल बैंक के ताजा आंकडों के अनुसार देश के 283 बैंकों में विदेशी ग्राहकों का कुल जमा धन 1,600 अरब डालर ही है. स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का धन बढकर 2.03 अरब स्विस फै्रंक (14,000 करोड रुपये) पर पहुंचने के बारे में उन्होंने कहा कि यह धन उन ग्राहकों का है जिन्होंने खुद को भारतीय घोषित किया है ऐसे में इसके गैरकानूनी धन होने की संभावना नहीं है.
इस वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ ब्योरा लगातार साझा किया जा रहा है. और यह भारतीय अधिकारियों द्वारा पूर्व में मांगी गई सूचना से अलग है, जो लीक या चोरी की सूची या ‘एचएसबीसी की सूची’ के आधार पर मांगी गई थीं. इधर, न्यायमूर्ति शाह ने यह भी कहा, ‘‘यह केवल काले धन की सूची नहीं है. इसमें उन लोगों के भी नाम हैं जिन्होंने कानूनी रुप से पैसा रखा हुआ है. यह संयुक्त सूची है. हमने उक्त लोगों की सूची मांगी है.  उसके बाद हम उसकी जांच करेंगे. उसके बाद कानूनी कार्रवाई करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर वह कानूनी है, हम कुछ नहीं कर सकते. अगर वह अवैध या काल धन है, तब हम जरुर कार्रवाई करेंगे...’’    स्विस अधिकारी ने यह भी कहा कि स्विट्जरलैंड भारत की नई सरकार के साथ नजदीकी से काम करने को तैयार है और वह काले धन पर नवगठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) को हर जरुरी सहयोग देगा.
काले धन मामले में उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने लंदन से कहा, ‘‘मैं बहुत खूश हूं और आज राहत महसूस कर रहा हूं. मुझे उम्मीद है कि राजग सरकार इस सूचना का पूरा फायदा उठाएगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत से काफी मात्र में धन चुराया गया है और उन्हें दंडित किया जाएगा. धन का उपयोग गरीबी उन्मूलन और समाज की अन्य समस्याओं को दूर करने में किया जाएगा.’’ 
आप नेता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर एसआईटी का गठन हुआ है, अत: सरकार को इसका श्रेय नहीं लेना चाहिए. उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर स्विस सरकार कोई सूचना साझा करती है, वह स्वागत योग्य कदम है. लेकिन सरकार को पी नोट्स तथा कर चोरों के पनाहगाह देशों में पंजीकृत कंपनियों में पैसा लगाने के माध्यम से अवैध तरीके से धन प्रवाह रोकने के लिये कदम उठाना चाहिए.’’  उल्लेखनीय है कि स्विस सरकार एचएसबीसी की सूची के आधार पर भारतीयों का ब्योरा देने से लगातार इनकार करती रही है. यह सूची एक बैंक कर्मचारी ने चुराई थी और बाद में यह भारत सहित अन्य देशों के कर अधिकारियों के पास पहुंच गई. भारत के कई बार आग्रह करने के बावजूद स्विट्जरलैंड ने सूचना देने से इनकार करते हुए कहा था कि उसका स्थानीय कानून गैर कानूनी तरीके से प्राप्त सूचना के आधार पर ब्योरा देने से रोकता है.
एचएसबीसी की इस कथित सूची में बैंक की स्विस इकाई में काला धन रखने वाले भारतीयों और अन्य देशों के लोगों का नाम था.भारत उन 36 देशों में शामिल है जिनके साथ स्विट्जरलैंड ने कर मामलों में अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार प्रशासनिक सहयोग प्रदान करने की संधि की हुई है.