रेल किराये में बढ़ोतरी के बाद अब मोदी सरकार को हर तरफ आलोचना झेलनी पड़ रही है। विपक्षी दलों ने कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन किया। मोदी सरकार के एक महीने भी पूरे नहीं हुए कि वो महंगाई बढ़ाने के लिए कठघरे में खड़ी नजर आ रही है। देश भर में रेल किराये पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया है।
दिल्ली में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता जनकपुरी में पानी की बौझारों के बीच विरोध-प्रदर्शन करते नजर आए, वहीं दिल्ली के ही रेल भवन, उत्तर प्रदेश के कानपुर और लखनऊ में भी कांग्रेस ने बढ़े किराये का विरोध किया। ऐसे ही एक प्रदर्शन के दौरान लखनऊ में समाजवादी पार्टी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर झड़प हुई।
रेल किराये में बढ़ोतरी के विरोध में लेफ्ट और समाजवादी पार्टी भी सड़कों पर उतरीं। विधानसभा के बाहर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता रेल किराये में बढ़ोतरी को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी का पुतला फूंकने की कोशिश की। जिसे लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। इसके बाद एसपी और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट शुरू हो गई।
यूपीए के मंत्रियों के इस तर्क पर कि रेल किराये में वृद्धि का प्रस्ताव पिछली यूपीए सरकार का था, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि अगर मोदी सरकार में फैसला लेने के बाद उसपर डटे रहने या उसे स्वीकारने की हिम्मत नहीं है तो कम से कम वो पिछली सरकार को तो दोषी न ठहराए। एक महीने में ही इनकी कथनी-करनी में फर्क समझ आ गया।
मुरादाबाद में आजम खान ने रेल किराया बढ़ोतरी पर चुटकी लेते हुए कहा कि अच्छे दिन आए हैं, देशवासियों को बहुत मुबारक हो। रेलवे के इतिहास की ये सबसे बड़ी किराया बढ़ोतरी है। बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि अच्छे दिन नहीं, इस देश के लिए बहुत बुरे दिन आने वाले हैं।
सीपीआई नेता अतुल अंजान ने कहा कि पिछली बार जब किराया बढ़ाया गया था तब मोदी ने ट्विटर पर कहा था कि ये असंवैधानिक है। अब आप जनता की पीठ पर छुरा भोंक रहे हैं। सीपीआईएम नेता नीलोत्पल बसु ने कहा कि एक पार्टी के पास निरंकुश बहुमत है इसलिए ये बिना अंकुश के साथ काम कर रहे हैं।
