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मोदी के लिए उमड़ी काशी, अभिभूत नमो बोले, मां गंगा ने बुलाया


मेला प्रिय बनारस के लिए भीड़ नई बात नहीं। साप्ताहिक त्यौहारों के कारण जाम का आदी बनारस चकित था चारों ओर से उमड़ी केसरिया बाढ़ देखकर। छतों पर टंगे लोग, फूलों से पटी सड़कें, मंत्रोच्चार, घंटा-घड़ियाल, ढोल-नगाड़े व शंख ध्वनि, अपने आप बंद किए गए स्कूल-बाजार और निजी संस्थान। किसी चुनाव नामांकन के लिहाज से अविस्मरणीय दृश्य। यह प्रचंड शो प्रधानमंत्री पद के अपने प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के वाराणसी आने से उत्साहित भाजपा का था। अभिभूत मोदी बोले, उन्हें न किसी ने भेजा और न वह खुद आए बल्कि उन्हें मां गंगा ने बुलाया है। वाराणसी को दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी बनाने के लिए मां शक्ति दे।
भारत युवाओं का देश हो रहा है और काशी लघु भारत है। चार लक्खा मेलों की इसी काशी में गुरुवार को जिस संख्या में युवा उमड़े, इसे हांडी के चावल का दाना मानें तो भाजपा चुनाव विश्लेषकों की अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन करने जा रही है। तीन घंटे चले रोड शो में मलदहिया चौराहे से मिंट हाउस पर स्वामी विवेकानंद प्रतिमा तक के लगभग तीन किलोमीटर लंबे रास्ते में मोदी का स्वागत देख एक निरपेक्ष दर्शक की टिप्पणी थी, 'पलट गइल बनारस।'
खास बात यह कि जौनपुर, चंदौली और भदोही से भी लोग आए लेकिन तीन चौथाई से भी अधिक भीड़ बनारस की थी। ऐसे ही एक युवक से पूछा गया कि क्या बनारस से हैं आप, जवाब खांटी बनारसी था-अउर का, गली-गली छनले हई। दो घंटे देर से शुरू हुई नामांकन यात्रा में नरेंद्र मोदी के साथ खुले वाहन में उनके विश्वस्त अमित शाह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, केंद्रीय नेता रविशंकर प्रसाद, मुख्तार अब्बास नकवी व सह प्रदेश प्रभारी रामेश्वर चौरसिया के साथ बनारस के महापौर रामगोपाल मोहले और बनारस के सवा लाख कुर्मी मतदाताओं के लिहाज से महत्वपूर्ण अपना दल की अनुप्रिया पटेल भी थीं।
नामांकन यात्रा में मोदी ने महामना पंडित मदनमोहन मालवीय, सरदार पटेल और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित किए। उन्हें डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण करना था पर जुलूस लेट हो जाने के कारण वहां जाने का कार्यक्रम रद कर दिया गया। नामांकन जुलूस से लेकर मोदी के प्रस्तावकों के चयन तक भाजपा का सुविचारित प्रबंधन था। पंडित छन्नू लाल मिश्र यानी बनारस घराने की गायिकी का जाना-माना नाम, महामना मालवीय के पौत्र सेवानिवृत न्यायाधीश गिरधर मालवीय, बुनकर अशोक कुमार और वीरभद्र प्रसाद निषाद। निषाद इसलिए क्योंकि मान्यता है कि बाहर वालों द्वारा बसायी गई काशी के मूल निवासी यही गंगापुत्र हैं।
पौन घंटे इंतजार करना पड़ा
भीड़ के चलते रेंगते हुए आगे बढ़े मोदी के काफिले में इतना वक्त लगा कि नामांकन के लिए वह अपराह्न एक बजे के बाद कलेक्ट्रेट पहुंच पाए। भाजपा ने उनके नामांकन के लिए दोपहर बारह बजे से एक बजे तक का समय प्रशासन से मांगा था। विलंब होने के कारण मोदी कलेक्ट्रेट में ही करीब 45 मिनट इंतजार करना पड़ गया।
इस दौरान कई निर्दल प्रत्याशियों ने अपनी नामजदगी के पर्चे दाखिल किए। यहां पर अधिकारियों ने मोदी को बैठने के लिए कुर्सी उपलब्ध करानी चाही लेकिन उन्होंने मना कर दिया। अन्य लोगों के साथ मोदी पहले बरामदे में और उसके बाद नामांकन कक्ष में खड़े रहे।
बेसब्री झलक रही थी चेहरे से
विलंब के चलते मोदी के चेहरे पर कई बार बेसब्री के भाव भी उभरे। उनकी दोपहर के समय ही बिहार के दरभंगा, सहरसा और मधुबनी में जनसभाएं थीं। वह समझ रहे थे कि गर्मी की दोपहर में लोगों को इंतजार कितना भारी पड़ रहा होगा। इसीलिए 2.10 बजे जैसे ही वह नामांकन कार्य से फारिग हुए।