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कम उम्र में सिगरेट पीने से हो सकता है हार्ट अटैक

विश्व तंबाकू निषेध दिवस (31 मई) के मौके पर डॉक्टरों ने आज आगाह किया कि प्रचलित धारणा से परे धूम्रपान कम उम्र में दिल के दौरों की एक मुख्य वजह है और भारत में इस तरह के करीब 4.5 करोड़ रोगी हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तंबाकू का इस्तेमाल दुनियाभर में लोगों की सेहत को खतरा पहुंचाने की सबसे बड़ी वजहों में शामिल है, जिससे हर साल करीब 60 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से करीब छह लाख लोग तो ऐसे हैं जो सिगरेट बीड़ी पीते भी नहीं लेकिन दूसरे लोगों के धूम्रपान के कुप्रभावों का शिकार हो जाते हैं।

भारत में भी हालात बहुत चिंताजनक हैं, जहा हर साल तंबाकू के सेवन के कारण लगभग 10 लाख लोग मारे जाते हैं। डब्ल्यूएचओ की 2012 की वैश्विक मृत्युदर रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 30 साल या इससे अधिक उम्र में मौत के सात प्रतिशत मामले तंबाकू के खतरे से जुड़े होते हैं।

व्यापक तौर पर माना जाता है कि तंबाकू के सेवन और खासतौर पर सिगरेट पीने से फेफड़े का कैंसर जैसी बीमारिया होती हैं लेकिन कई लोगों को इस बात का अंदाज नहीं है कि कम उम्र में दिल के दौरों की भी यह बड़ी वजह है।

विश्व हृदय संघ की एक ताजा रिपोर्ट के आकड़े बताते हैं कि करीब 1.73 करोड़ लोग दिल की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं जिनमें 10 प्रतिशत की मौत तंबाकू के कारण होती है।

फोर्टिस एस्कार्ट अस्पताल के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर उपेंद्र कौल ने कहा, ''धूम्रपान आथरोस्कलेरोसिस की बड़ी वजह है जिससे धमनिया में थक्के जमा हो जाते हैं।''

प्रोफेसर कौल ने यह भी स्पष्ट किया कि धूम्रपान का कोई भी तरीका सुरक्षित नहीं कहा जा सकता और सभी के बराबर खतरे हैं।

प्रोफेसर कौल ने कहा, ''तंबाकू के सेवन का हर तरीका विषैला है, जिसमें लत पैदा करने वाला निकोटिन, कार्बन मॉनोऑक्साइड, टार तथा हाइड्रोजन साइनाइड आदि होते हैं।''

'इंटरहार्ट' के एक ताजा अध्ययन के अनुसार भारत समेत 52 देशों में किए गए एक अध्ययन में पता चला कि एक दिन में एक से नौ तक सिगरेट पीने से दिल के दौरे का खतरा 1.5 गुना बढ़ जाता है, वहीं 10 से 19 तक सिगरेट रोज फूंकने से यह खतरा 2.8 गुना, 20 से ज्यादा सिगरेट पीने से इस खतरे में 4.7 गुना इजाफा हो जाता है।

अध्ययन यह भी खुलासा करता है कि यदि महिलाएं धूम्रपान करती हैं और गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन भी करती हैं तो यह खतरा और भी कई गुना हो जाता है।

डॉ कौल ने कहा, ''इसलिए इन खतरों से पूरी तरह मुक्ति पाने का केवल एक ही तरीका है कि धूम्रपान को 'नहीं' कहना।''