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भागवत से मिलती है जीवन जीने की कला: किरीट भाई

भागवत से मिलती है जीवन जीने की कला: किरीट भाई

भागवत कथा मनुष्य के जीवन का सार है। इसके श्रवण से जीने की कला सीखने का मौका मिलता है। इस जगत में भगवत कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं है। मनुष्य को समाज में अच्छे काम करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म ही प्रधान है, बिना कर्म कुछ संभव नहीं होता है, जो मनुष्य अच्छा व सत्कर्म करता है, उसे अच्छा फल मिलता है। बुरे कर्म करने वाले को हमेशा बुरा फल मिलता है। इसलिए सभी को अच्छे कर्मों के प्रति आकृष्ट होना चाहिए। उक्त बातें ब्रह्मर्षि किरीट भाई ने द्वारिकापुरी कॉलोनी श्याम कुंज में तुलसी परिवार की ओर से आयोजित सात दिवसीय भावगत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन रविवार को प्रवचन करते हुए कही। 
कथा के दूसरे दिन मारवाड़ी सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष ईश्वर झुनझुनवाला, लक्ष्मीनारायण डोकानिया, पूर्व डिप्टी मेयर डॉ प्रीति शेखर और केंद्रीय रेलवे रेल यात्री संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु खेतान ने गुरु जी से आशीर्वाद लिया। वहीं किरीट भाई ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से संसार को गीता का ज्ञान उपलब्ध कराया है। वह मनुष्य के जीवन की जीने की कला है। उसमें मनुष्य के जीवन की सभी प्रकार के भ्रांतियां और समस्याओं का निदान भी है। इस दौरान उन्होंने जीवन में कैसा खानपान, आचरण और व्यवहार करना चाहिए यह भी बताया। 
वहीं मीडिया प्रभारी राजेश खेतान ने बताया कि 20 दिसंबर तक दोपहर दो से संध्या छह बजे तक कथा का समय निर्धारित है। 16 दिसंबर को अजामिल उपाख्यान, प्रह्लाद चरित्र एवं वामन अवतार, 17 दिसंबर को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव एवं श्री नंदोत्सव, 18 दिसंबर को गोवर्धन पूजन, महारास, छप्पन भोग, फूलों की होली एवं डांडिया, 19 दिसंबर को रुक्मिणी विवाह, 20 दिसंबर को गुरु पादुका पूजन एवं पूर्णाहुति यज्ञ होगा।