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अहम करने से विवेक मर जाता है, उससे अधर्म का जन्म होता है- किरीट भाई

अहम करने से विवेक मर जाता है, उससे अधर्म का जन्म होता है- किरीट भाई
राजेश कानोडिया ( नव-बिहार समाचार) भागलपुर। अहम करने से विवेक मर जाता है, उससे अधर्म का जन्म होता है। सुख और दुख दोनों भोग है जिसे सभी को भोगना ही है। यह हमारे कर्मों के आधार पर तय होता है दुख उनके जीवन में भी आता है जो सुखी हैं। बेटी का जन्म लेना साक्षात लक्ष्‌मी या सरस्वती का आपके घर में जन्म लेना है। बेटी को बोझ न समझो वो साक्षात राजा- रानी है। 
ऊपरयुक्त बातें भागलपुर शहर के खलीफाबाग चौक के निकट तुलसी परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा में आज चौथे दिन मंगलवर को कथावाचक संत महर्षी किरीट भाई ने कहा। उन्होंन दही जमाने का नया तरीका बताते हुए कहा कि, थोडा सा मकई का आटा मिलाने से दही स्वादिस्ट बनता है। उन्होंने कहा कि, ज्यादा सोचने वाले लोग दुःखी होते हैं और यही सब दुख का कारण भी है। 
कथा में गुरुजी ने कहा कि, पत्नी के लिए संस्कृत में 58 पर्यायवाची शब्द होते हैं। इस भागवत कथा में नंद महोत्सव भी मनाया गया। छोटे- छोटे बाल स्वरूप बच्चों ने ठेवण बन कर प्रांगण को गोकुल का रूप दे दिया, मानो जैसे कि पुरा प्रांगण ही कृष्णमय बन गया हो। कथा वाचक श्री किरीट भाई ने कहा कि जन्म और मृत्यु में लगने वाला सूतक 14 दिन का होना विज्ञान से जुड़ा है। कीष - कीटाणु अपने आप 14 दिन में मर जाते है। इसलिए सूतक 14 दिनों का ही होता है। कथा में अंकित, अमन, कार्तिक, सुनीता, शशि, ममता, श्रेया, साक्षी, सिहि, रिद्धि, अज्यान, कृष गुहेडवाल सभी ने आकर्षक झांकी निकाली । कृष्ण परिवार के सदस्य काफी सजे -धजे उमंग-उत्साह के साथ नंदोत्सव मनाया ।